Book Title: Laghu Prakaran Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek,
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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नवत०
॥४॥
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जीवा ॥ चेयण तस इयरेहिं, वेय गई करण काएहिं ॥ ३ ॥ एगिंदिय सुदुमि यरा, सन्नियर पििदया य स बि ति चन ॥ अपजत्ता पत्ता, कमेण चन दस जियठाणा ॥ ४ ॥ नाणं च दंसणं चेव, चरितं च तवो तहा ॥ वीरियं ज वर्जगो य, एयं जीवस्स लरकरणं ॥ ५ ॥ आदार सरीरेंदिय, पत्ती आण पाण जास मणे ॥ चन पंच पंच बप्पिय, इग विगला सन्नि सन्नीणं ॥ ६ ॥ प सिंदिय त्तिबलूसा, साऊदसपाण चन व सग अठ ॥ इग डु ति चरिंदीणं, प्रसन्नि सन्नी नव दस य ॥ ७ ॥ इति जीवतत्वम् ॥ धम्माऽधम्मा ऽगासा, तिय तिय नेया तदेव प्रधाय ॥ खंधा देसपरसा, परमाणु प्रजीव चन्दस दा ॥ ८ ॥ धम्माऽधम्मा पुग्गल, नह कालो पंच हुंति प्रीवा ॥ चलणस दावो धम्मो, थिरसंठाणो अहम्मो य ॥ ए ॥ अवगादो आगासं, पुग्गल जीवाण पुग्गला चन्दा ॥ खंधा देसपएसा, परमाणू चेव नायव्वा ॥ १० ॥ सद्दं
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प्रकरण.
॥५॥
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