Book Title: Kuvalaymala Part 01 Author(s): Chandraguptasuri Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust View full book textPage 5
________________ 1 तं पढम-पुहइ-पालं पढम-पवत्तिय-सुधम्म-वर-चक्कं । __णिव्वाण-गमण-इंदं पढमं पणमह मुणि-गणिंदं ।। अहवा । 3 उब्भिण्ण-चूय-मंजरि-रय-मारुय-विलुलियंबरा भणइ । माहव-सिरी स-हरिसं कोइल-कुल-मंजुलालावा ।। 5 अहिणव-सिरीस-सामा आयंबिर-पाडलच्छि-जुयलिल्ला । दीहुण्ह-पवण-णीसास-णीसहा गिम्ह-लच्छी वि ।। 7 उण्णय-गरुय-पओहर-मणोहरा सिहि-फुरंत-धम्मिल्ला । उब्भिण्ण-णवंकुर-पुलय-परिगया पाउस-सिरी वि ।। 9 वियसिय-तामरस-मुही कुवलय-कलिया विलास-दिह्रिल्ला । कोमल-मुणाल-वेल्लहल-बाहिया सरय-लच्छी वि ।। 11 हेमंत-सिरी वि स-रोद्ध-तिलय-लीणालि-सललियालइया । मल्लिय-परिमल-सुहया णिरंतरुब्भिण्ण-रोमंचा ।। 13 अणवरय-भमिर-महुयरि-पियंगु-मंजरि-कयावयंसिल्ला । विप्फुरिय-कुंद-दसणा सिसिर-सिरी सायरं भणइ ।। 15 दे सुहय कुण पसायं पसीय एसेस अंजली तुज्झ । णव-णीलुप्पल-सरिसाएँ देव दिट्ठीएँ विणिएसु ।। 17 इय जो संगमयामर-कय-उउ-सिरि-राय-रहस-भणिओ वि । झाणाहि णेय चलिओ तं वीरं णमह भत्तीए ।। अहवा । जाइ-जरा-मरणावत्त-खुत्त-सत्ताण जे दुहत्ताणं । भव-जलहि-तारण-सहे सव्वे च्चिय जिणवरे णमह ।। सव्वहा, 21 बुज्झति जत्थ जीवा सिझति य के वि कम्म-मल-मुक्का । जं च णमियं जिणेहि वि तं तित्थं णमह भावेण ।। 1) J पवित्तिय. 2) Jणेव्वाण P निव्वाण, P इद्धं or इड्डे, J पढमं for पणमह, Jom. अहवा. 3) P उब्भिन्न, J चूअ, J व्यम्बरा भमइ । सहरिस वसंतलच्छी कोइल. 5) P आयंवर. 6) P न्ह, P नीसास. 7) J धम्मेल्ला. 8) P उब्भिन्ननवं०. 10) J वाहिया. 11) P लीलालि, J सललिआलइआ. 12) J मल्लिअ, P निरंतरुब्भिन्न. 13) J महुअरि, J पिअंगु. 14) J रिअ. 16) P नवनीलु०, P दिट्ठिए विनिएसु. 17) J कयऊसिरि. 18) J झाणाउ, P नमह, Jom. अहवा. 19) P ०णावत्तरिय (खित्त)स०, P दुहत्ताण. 20) P सव्वे विय, J च्चिअ, P नमह, P अहवा for सव्वहा, J repeats here दे सुहय कुण पसायं पसीय एसेस अंजली तुज्झ. 21) J ज्झन्ति, P अ for य, P कंम, J कलि for मल. 22) P तं च नमिउं, P नमह भत्तीए ।.Page Navigation
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