Book Title: Kuvalaymala Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 4
________________ उज्जोयणसूरिविरइया कुवलयमाला ।। ॐ नमो वीतरागाय ।। 11 (१) पढमं णमह जिणिंदं जाए णच्चंति जम्मि देवीओ। उव्वेल्लिर-बाहु-लया-रणंत-मणि-वलय-तालेहिं ।। 13 पुरिस-कर-धरिय-कोमल-णलिणी-दल-जल-तरंग-रंगतं । णिव्वत्त-राय-मजण-बिंब जेणप्पणो दि8 ।। 15 वसिउं चिरं कुलहरे कला-कलाव-सहिया णरिदेसु । धूय व्व जस्स लच्छी अज वि य सयंवरा भमइ ।। 17 जेण कओ गुरु-गुरुणा गिरि-वर-गुरु-णियम-गहण-समयम्मि । स-हरिस-हरि-वासद्धंत-भुसणो केस-पन्भारो ।। 19 तव-तविय-पाव-कलिणो णाणुप्पत्तीए जस्स सुर-णिवहा । संसार-णीर-णाहं तरिय त्ति पणच्चिरे तुट्ठा ।। 21 जस्स य तित्थारंभे तियस-वइत्तण-विमुक्क-माहप्पा । कर-कमल-मउलि-सोहा चलणेसु णमंति सुर-वइणो ।। The reference 1), 2) etc. are to the numbers of the lines of text, put on the margin. 9) JP उं नमो after the symbol of bhale which looks like Devanagari ६०. 11) P नमह, P नचंति, P जंमि. 12) J उव्विल्लरबाहु, P नालेहिं. 14) J बिम्बं. 15) P सहिआ. 16) J धूअ. 17) J गुरुगहणणियमसमयंमि, P नियम, P व्यंमि. 18) J द्धन्त. 19) J णाणुप्पत्तीए P नाणुप्पत्तीइ, JP निवहा. 20) JP नीरनाहं.

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