Book Title: Kuvalaymala Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 12
________________ 1 सव्व-कहा-गुण-जुत्ता सिंगार-मणोहरा सुरइयंगी । सव्व-कलागम-सुहया संकिण्ण-कह त्ति णायव्वा ।। 3 एयाणं पुण मज्झे एस च्चिय होइ एत्थ रमणिज्जा । सव्व-भणिईण सारो जेण इमा तेण तं भणिमो ।। 5 (८) पुणो सा वि तिविहा । तं जहा । धम्म-कहा, अत्थ-कहा,काम___ कहा । पुणो सव्व-लक्खणा संपाइय-तिवग्गा संकिण्ण त्ति । ता एसा धम्म7 कहा वि होऊण कामत्थ-संभवे संकिण्णत्तणं पत्ता । ता पसियह मह सुयणा खण-मेत्तं देह ताव कण्णं तु । 9 अब्भत्थिया य सुयणा अवि जीयं देंति सुयणाण ।। अण्णं च । सालंकारा सुहया ललिय-पया मउय-मंजु-संलावा । 11 सहियाण देइ हरिसं उव्वूढा णव-वह चेव ।। सुकइ-कहा-हय-हिययाण तुम्ह जइ वि हु ण लग्गए एसा । 13 पोढा-रयाओ तह वि हु कुणइ विसेसं णव-वहु व्व ।। अण्णं च । __णज्जइ धम्माधम्म कज्जाकजं हियं अणहियं च । 15 सुव्वइ सुपुरिस-चरियं तेण इमा जुज्जए सोउं ।। (९) सा उण धम्मकहा णाणा-विह-जीव-परिणाम-भाव-विभावणत्थं 17 सव्वोवाय-णिउणेहिं जिणवरिंदेहिं चउव्विहा भणिया । तं जहा । अक्खेवणी, ___ विक्खेवणी, संवेग-जणणी, णिव्वेय-जणणि त्ति । तत्थ अक्खेवणी मणोणुकूला, 19 विक्खेवणी मणो-पडिकूला, संवेग-जणणी णाणुप्पत्ति-कारणं, णिव्वेय-जणणी उण वेरगुप्पत्ती । भणियं च गुरुणा सुहम्म-सामिणा । 21 अक्खेवणि अक्खित्ता पुरिसा विक्खेवणीऍ विक्खित्ता । संवेयणि संविग्गा णिव्विण्णा तह चउत्थीए ।। 1) P कलागुण, J इअंगी. 2) P संकिन्न, P नायव्वा. 4) J भणिमो ।। छ ।।. 6) J संपाडिअ P संपाईय. 7) J कामअत्थ, P संकिन्न०. 8) J पसिय महह सुअणा P पसियह महासुयणा, P देसु, J कण्ण त्ति P कन्नं तु. 9) J सुअणा, J जीवं, देन्ति सुअणाण, P अन्नं. 10) J मउअ, P मंजुलल्लावा. 11) P नव, J येव for चेव. 12) J सुकय, P जय वि हु न लग्गए. 13) P पोंड, P नव, P अन्नं. 14) P नजइ, J धम्माहम्म, J हिअं, J हिअं. 16) P सो उण, P नाणा P विभावणसव्वो०. 17) P जेण०, J भणिआ. 18) J संवेयणी, J णिव्वेयणी ।, P निव्वेय, P मणाणुकूला. 19) J संवेय, P जण उण. 20) J भणिअं, P सुहम. 21) J विक्खेवणीय P किक्खेवणीए. 22) P निम्विन्ना, P संजमइ त्ति ।। for तह etc.

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