Book Title: Kuvalaymala Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 9
________________ (६) 1 धम्म I म-सुक्क - ज्झाणाइ- इ-भावणाओ भावयंतेण भासिओ भगवया 'भावणामइओ धम्मो' त्ति । तओ ताव अम्हारिसा तारिसेहिं दाण-सील - तवेहिं दूरओ चेव 3 परिहरिया, जेण धण - सत्त - संघयण - वज्जिया संपयं । एसो पुण जिणवरवयणावबोहओ जाय-संवेग-कारणो भावणामइओ सुह-करणिज्जो धम्मो त्ति । 5 कहं । जाव महा-पुरिसालिय-दोस-सय-वयण- वित्थराबद्ध-हलबोल- वड्डियपहरिसस्स दुज्जण-सत्थस्स मज्झ गया पर - मम्म- मग्गण-मणा चिट्ठम्ह, ताव 7 वरं जिणयंद-समण-सुपुरिस - गुण - कित्तणेण सहलीकयं जम्मं ति । अवि य । जा सुपुरिस-गुण- वित्थार - मइलणा - मेत्त - वावडा होमो । 9 ता ताव वरं जिणयंद-समण - चरियं कयं हियए ।। इमं च विचिंतिऊण तुब्भे वि णिसामेह साहिज्जमाणं किंचि कहावत्युं ति । 11 अवि य । मा दोसे च्चिय गेण्हह विरले वि गुणे पयासह जणस्स । अक्ख-पउरो वि उयही भण्णइ रयणायरो लोए ।। (६) तओ कहा- बंधं विचिंतेमि त्ति । तत्थ वि पालित्तय-सालाहण-छप्पण्णय-सीह-णाय-सद्देहिं । संखुद्ध मुद्ध - सारंगओव्व कह ता पयं देमि ।। णिम्मल-मणेण गुण-गरुयएण परमत्थ-रयण-सारेण । पालित्तएण हालो हारेण व सहइ गोट्ठीसु ।। चक्काय- जुवल-सुहया रम्मत्तण- राय - हंस-कय- हरिसा । जस्स कुल-पव्वयस्स व वियर गंगा तरंगवई || भणिइ-विलासवइत्तण-चोल्लिके जो करेइ हलिए वि । कव्वेण किं पउत्थे हाले हाला - वियारे व्व ॥ ६ 13 15 17 19 21 1) P धंम, J झाणाईभावणाउ, J व्यन्तेण, P भाविओ. 2) Jत्ति । छ I,J चेय for चेव. 3) P संघयं, J उण. 4)J बोह for बोहओ, P जाइ, P • मईओ, J सुर for सुह, Jत्ति । छ । 5 ) P • रावद्ध, P वड्ढिय य हरिसदुज्जण. 6) J चिट्ठम्हं, Pता वरं. 7) J गुणु. 8) P वित्थर. 9) Jom. ता. 10) J च विचिन्ति० P च चिंतिऊणं, P निसा॰, J वत्थु त्ति. 12 ) P पसंसह जिणस्स. 13) J उअही. 14 ) J कहाबद्धं, J om. त्ति. 15) P साहलाहण, J च्छप्प०, P सद्देण ।. 16) JP ॰गउ. 17) P निम्मलगुणेण, J गरुअएण, P गुरुयएयण. 19) J जुअल, P रंम० . 20) P कुलप्पव्व॰, P तरंगमई. 21 ) J भणिई P भणिय, J वो (चो) ल्लिक्के P च्चोक्किल्ले. 22) J has a marginal gloss मदिरा on the word हाला.

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