Book Title: Kshatriyakund
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Jain Prachya Vidyabhavan
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पादनोंध
*१ आर्यदेश-- (१) रायगिह मगह (२) चंपा, अंगा तह (३) तामलित्ति बंगाय। (४) कंचणपुरं कलिंगा, (५) वाणारसी चेव कासी य ॥१॥ (६) साकेत कोसला (७) गयपुरं च कुरु (८) सोरियं कुसट्टा य। (९) कंपिलं पंचाला, (१०) अहिछत्ता जंगला चेव ॥२॥ (११) बारवई य सुरट्ठा, (१२) विदेह मिहिला य (१३) वच्छ कोसंबी। (१४) नंदिपुरं संडिब्भा, (१५) महिलपुरमेव मलया य ॥३॥ (१६) वेराड वच्छ (१७)वरणा, अच्छा तह य (१८) मत्तियावह दसन्ना। '(१९) सुत्तीवह य चेदी, (२०) वीयभयं सींधु सोवीरा ॥४॥ (२१) महुरा य सूरसेणा, (२२) पावा भंगी य, (२३) मासपुरि वट्टा। (२४) सावत्थी य कुणाला, (२५) कोडिवरिसं च लाढा य ॥५॥ (२६) सेयविया विय नगरी, केगइ-अद्धं च आरियं भणिय । जत्थुपत्ति जिणाणं, चक्कीणं रामकण्हाणं ॥६॥
['बृहत्कल्पसूत्र' उ० १, पृ० ९१३.]

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