Book Title: Kshatriyakund
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Jain Prachya Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 97
________________ ક્ષત્રિયકુંડ अलंबुषायामुत्पन्नो, विशाल इति विश्रुतः । तेन चासीदिह स्थाने, विशालेति पुरी कृता ॥ १२ ॥ ( 'रामायण' आदिकांड, सर्ग - ४७ ) विशालो वंशकृदू राजा, वैशालीं निर्ममे पुरीम् ||३३|| ( 'भागवतपुराण' स्कं० ९ अ० २ ) *९ जूओ श्रीमती स्टीवन्सननुं ' हीस्ट्री ओफ जैनिझम' पृ० २१,२२ अर्वाचीन विद्वानोए वैशालिक भगवानने विशालाना बनाव्या, अने श्रीमती स्टीवन्सने वैश्य जातिना ज बनावी दीधा । *१० कुण्डपुर - (दिगम्बर शास्त्रपाठ 'वैशाली' पुस्तिकामांथी ) सिद्धार्थनृपतितनयो, भारतवास्ये विदेह कुण्डपुरे ( दि० आ० पूज्यपादकृत 'दशभक्ति' ) तत्राखण्डलनेत्राली - पद्मिनीखण्डमण्डलम् । सुखाम्भः कुण्डमाभाति, नाम्ना कुंडपुरं पुरम् ॥५॥ ( दि० आ० जिनसेनकृत 'हरिवंशपुराण' खं० १ स० २ ) दिश्याययुस्तदिति कुण्डपुरं सुरेन्द्राः ॥ ६१ ॥ ( दि० कवि असगकृत, 'वर्धमानचरित्र' स० १७ ) * ११ कुंडलपुर गाम नालन्दासे सटा हुआ लगभग दो मील की दूरी पर एक कुंडलपुर नामक गांव | ('जैन सिद्धांत भास्कर, ' भा० १० कि० २५० ६० )

Loading...

Page Navigation
1 ... 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122