Book Title: Krambaddha Paryaya Nirdeshika
Author(s): Abhaykumar Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 101
________________ क्रमबद्धपर्याय : महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर हैं । जैसे - गर्मियों में बरसात होना, सर्दियों में आम पकना, 10 वर्ष के बालक को दाढ़ी-मूंछ में बाल आ जाना; बस, ट्रेन या प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो जाना, आग लग जाना, भूकम्प आ जाना इत्यादि । - 99 जिसप्रकार नाटक के मञ्च पर अव्यवस्थित दिखनेवाली गरीब की झोपड़ी अव्यवस्थित दिखने पर भी पूर्वनियोजित और व्यवस्थित है; उसी प्रकार उपर्युक्त घटनायें भी पूर्व निश्चित और व्यवस्थित हैं, क्योंकि वे सर्वज्ञ के ज्ञान में पहले से ही झलक रही हैं, तथा अपने परिणमन के नियमित क्रमानुसार हो रही है । हमारी धारणा के अनुकूल न होने से वे हमें अव्यवस्थित लगती हैं, परन्तु वस्तु की परिणमन व्यवस्था में वे सब व्यवस्थित ही हैं । -- प्रश्न 8. क्रमबद्धपर्याय के पोषक कुछ आगम-प्रमाणों का उल्लेख कीजिए? उत्तर :- पाठ्य-पुस्तक में दिए गए आगम-प्रमाण निम्नानुसार हैं :1. समयसार गाथा 308-311 की अमृतचन्द्राचार्यकृत टीका । 2. कार्तिकेयानुप्रेक्षा गाथा 321-322-3231 3. आचार्य रविषेणकृत पद्मपुराण, सर्ग-110 श्लोक 40 4. अध्यात्मपद संग्रह : भैया भगवतीदासकृत भजन, पृष्ठ 8 5. अध्यात्मपद संग्रह : कविवर बुधजनकृत भजन, पृष्ठ 79 6. पण्डित जयचन्द्रजी छाबड़ा कृत मोक्ष पाहुड गाथा 86 का भावार्थ 7. पण्डित सदासुखदासजी कासलीवालकृत रत्नकरण्ड श्रावकाचार टीका: श्लोक 137 का भावार्थ । प्रश्न 9. सिद्ध कीजिए कि प्रत्येक पदार्थ का परिणमन पूर्वनिश्चित क्रमानुसार ही होता है ? Jain Education International उत्तर :- प्रत्येक द्रव्य के अनन्तगुणों और उनकी त्रिकालवर्ती पर्यायों को सर्वज्ञ भगवान प्रत्यक्ष जानते हैं तथा जैसा भगवान जानते हैं वैसा ही वस्तु का परिणमन होता है । इसप्रकार वस्तु का परिणमन सर्वज्ञ के ज्ञान में पहले से ही ज्ञात होने से यह सिद्ध होता है कि वस्तु का परिणमन पूर्व निश्चित क्रमानुसार ही होता For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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