Book Title: Krambaddha Paryaya Nirdeshika
Author(s): Abhaykumar Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 111
________________ क्रमबद्धपर्याय : महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 13) सैंतालीस शक्तियाँ 14) ज्ञान स्वभाव - ज्ञेय स्वभाव 15) कालनय-अकालनय 16) पर्यायों का क्रम - अक्रम स्वरूप प्रश्न 26. क्रमबद्धपर्याय को सुनिश्चित करने वाली आत्मा की छह शक्तियों के नाम और उनकी परिभाषा लिखिए ? 109 उत्तर :- समयसार ग्रन्थ की आत्मख्याति टीका में आचार्य अमृतचन्द्रदेव ने 47 शक्तियों का वर्णन किया है। इनमें से निम्न छह शक्तियों द्वारा वस्तु के परिणमन की क्रमबद्ध-व्यवस्था सुनिश्चित होती है। (1) भाव शक्ति : - इस शक्ति के कारण, द्रव्य अपनी वर्तमान अवस्था से युक्त होता है। ( 2 ) अभाव शक्ति :- इस शक्ति के कारण, द्रव्य में वर्तमान अवस्था के अतिरिक्त और दूसरी अवस्था नहीं होती । ( 3 ) भाव - अभावशक्ति :- इस शक्ति के कारण द्रव्य में वर्तमान पर्याय का आगामी समय में नियम से अभाव हो जाएगा । ( 4 ) अभाव - भाव शक्ति ::- इस शक्ति के कारण, आगामी पर्याय आगामी समय में नियम से उत्पन्न होगी । ( 5 ) भाव - भाव शक्ति :- इस शक्ति के कारण, द्रव्य में जिस समय जो पर्याय उत्पन्न होने वाली है, वही पर्याय होगी । (6) अभाव - अभाव शक्ति :- इस शक्ति के कारण, द्रव्य में जो पर्याय उत्पन्न नहीं होना है, वह नहीं होगी । प्रश्न 27. क्या क्रमबद्ध - पर्याय की श्रद्धा करना अनिवार्य है? यदि हाँ तो नरक और तिर्यञ्च गति में इसकी श्रद्धा के बिना ही सम्यग्दर्शन कैसे हो जाता है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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