Book Title: Khartar Gachha Ka Aadikalin Itihas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Akhil Bharatiya Shree Jain S Khartar Gachha Mahasangh
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स्वकथ्य जीवन अतीत, वर्तमान और भविष्य का समन्वय है। अतीत में घटित घटना-क्रम वर्तमान को प्रेरित और उद्बोधित करते हैं। उद्बोधित वर्तमान द्वारा साधित/सम्पादित कार्य-कलाप उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते हैं । यह शृखला यदि सुसंगत बनी रहे तो जीवन में एक ऐसा सौष्ठव आता है जो उसे सार्थकता प्रदान करता है। इस परिप्रेक्ष्य में यदि हम चिन्तन करें तो इतिहास का सामाजिक, लौकिक और सांस्कृतिक जीवन की उन्नति में बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है। ___ मानव बड़ा विस्मरणशील है। जितना शीघ्र वह उत्प्रेरित और स्फूर्त होता है, उतना ही शीघ्र वह भूल भी जाता है। वह न भूले, यह आवश्यक है । स्मृति बनाये रखने में इतिहास सहायक है। वह एक ऐसा झरोखा है, जिससे झाँककर मनुष्य अपने अतीत के क्रिया-कलापों का जीवन्त दृश्य देख सकता है ।
यह कुछ खेद का विषय है कि हम भारतीयों में इतिहास के प्रति जागरूकभाव कम रहा, जिसका परिणाम आज विद्या के क्षेत्र के अनेक सन्दर्भो में निराशा उत्पन्न करता है। अनेक ग्रन्थकारों, विद्वानों, शासकों, दानवीरों, धर्मवीरों, कर्मवीरों का प्रामाणिक इतिहास उपलब्ध न होने के कारण केवल कल्पनाओं, किंवदन्तियों और जनश्रुतियों का आधार लेकर आगे बढ़ना पड़ता है । यद्यपि त्यागतपोनिष्ठ महापुरुषों का यह भाव कि अपना व्यक्तिगत परिचय क्या दें, कार्य ही उनका परिचय हो, एक अपेक्षा से गरिमापूर्ण तो है, किन्तु इतिहास की अक्षुण्णता इससे बाधित होती है। इस भाव की उपादेयता वैयक्तिक है, सामूहिक या सामष्टिक जीवन में इससे परम्परा की अक्षुण्णता नहीं बनी रहती, अपितु एक रिक्तता आ जाती है। अतः आज के बौद्धिक युग में जीने वाले हम लोगों को चाहिये कि इतिहास को जरा भी खोने न दें और 'पुरातन इतिहास को सँजोए रहें, जिससे जीवन की सामष्टिक समृद्धि विकसित होती जाए। ऐसी ही कुछ प्रेरणाओं के परिणामस्वरूप खरतरगच्छ के इतिहास को लिखने का प्रसंग उपस्थित हुआ।
जैन-परम्परा अपने-आप में एक क्रान्ति है। जाति, वर्ण, वर्ग, भाषा आदि सभी सन्दर्भो की बद्धमूल रूढ़ धारणाओं में जैन संस्कृति ने जो अभिनव उन्मेष किया, वह उसकी सजीव चेतना का परिचायक है । गुण-निष्पन्नता
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