Book Title: Karmagrantha Part 4 Shadshitik Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi Publisher: Parshwanath Vidyapith View full book textPage 8
________________ (७) १५२ १५३ १५६ संख्या के भेद-प्रभेद १३२ संख्या के तीन भेदों का स्वरूप १३३ पल्यों के नाम तथा प्रमाण १३३ पल्यों के भरने आदि की विधि सर्षप-परिपूर्ण पल्यों का उपयोग असंख्यात और अनन्त का स्वरूप असंख्यात तथा अनन्त के भेदों के विषय में कार्मग्रन्थिक मत १३९ प्रथमाधिकार के परिशिष्ट १४७ परिशिष्ट 'क' १४७ परिशिष्ट 'ख' परिशिष्ट 'ग' परिशिष्ट 'घ' परिशिष्ट 'च' परिशिष्ट 'छ' १५६ द्वितीयाधिकार के परिशिष्ट १६१ परिशिष्ट 'ज' १६१ परिशिष्ट 'झ' १६३ परिशिष्ट 'ट' १६८ परिशिष्ट 'ठ' परिशिष्ट 'ड' परिशिष्ट 'ढ' १७५ परिशिष्ट 'त' १७६ परिशिष्ट 'थ' १८० परिशिष्ट 'द' १८१ परिशिष्ट 'ध' १८३ तृतीयाधिकार के परिशिष्ट १८८ परिशिष्ट 'प' परिशिष्ट 'फ' १८९ परिशिष्ट 'ब' परिशिष्ट नं. १ १९३ परिशिष्ट नं. २ परिशिष्ट नं. ३ १९७ १८८ १९० १९७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 290