Book Title: Karmagrantha Part 4 Shadshitik Author(s): Devendrasuri, Sukhlal Sanghavi Publisher: Parshwanath Vidyapith View full book textPage 7
________________ (६ ) ४९ ww ६६ ६९ ७६ ८३ . ९४ ९८ आहारमार्गणा के भेदों का स्वरूप मार्गणाओं में गुणस्थान मार्गणाओं में योग मनोयोग के भेदों का स्वरूप वचनयोग के भेदों का स्वरूप काययोग के भेदों का स्वरूप ६७ मार्गणाओं में योग का विचार मार्गणाओं में उपयोग मार्गणाओं में लेश्या मार्गणाओं का अल्प-बहुत्व गतिमार्गणा का अल्प-बहुत्व ८४ इन्द्रिय और काय-मार्गणा का अल्प-बहुत्व योग और वेद-मार्गणा का अल्प-बहुत्व । कषाय, ज्ञान, संयम और दर्शन-मार्गणा का अल्प-बहुत्व ९१ लेश्या आदि पाँच मार्गणाओं का अल्प-बहुत्व (३) गुणस्थानाधिकार गुणस्थानों में जीवस्थान गुणस्थानों में योग गुणस्थानों में उपयोग १०२ सिद्धान्त के कुछ मन्तव्य १०२ गुणस्थानों में लेश्या तथा बन्ध-हेतु बन्ध-हेतुओं के उत्तर-भेद तथा गुणस्थानों में मूल बन्ध-हेतु। एक सौ बीस प्रकृतियों के यथासंभव मूल बन्ध-हेतु गुणस्थानों में उत्तर बन्ध-हेतुओं का सामान्य तथा विशेष वर्णन ११२ गुणस्थानों में बन्ध ११६ गुणस्थानों में सत्ता तथा उदय गुणस्थानों में उदीरणा ११८ गुणस्थानों में अल्प-बहुत्व ११९ छ: भाव और उनके भेद १२२ कर्म और धर्मास्तिकाय आदि अजीव द्रव्यों के भाव । गुणस्थानों में मूल भाव १३१ संख्या का विचार १०५ ११० ११७ १३० १३२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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