Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 02 03 04 Author(s): Arunvijay Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 3
________________ परिभ्रमण से कैसे बचु । मृत्यु के बाद देह छोड़कर जीव एक गति से दूसरी गति में जाता है। ऐसी ४ गतियां है । (१) मनुष्य गति, (२) देव गति, (३) नरक गति, (४) तिर्यंच गति। मनुष्य गति में मनुष्य नर-नारी के जीव रहते हैं। देव गति में स्वर्गीय देवता रहते है, नरक गति में नारकी जीव रहते हैं, तथा तिर्यंच गति में पशु-पक्षी के जीव रहते हैं। इन चारों गति के जीवों के निवास स्थान के क्षेत्र रूप में तीन लोक हैं। तीन लोक स्वरूप इस समस्त ब्रह्माण्ड का परिमाण १४ रज्जु लोक प्रमाण होने से इसे चौदह राजलोक कहते हैं, इसी में समस्त जीव राशि सन्निहित है। rliestice .५. PRON दुत्तर scuidld.१४ sleals - s pz sevinura -00-------- --1...+ecisilas ngrewice were.. w was laku en cow? wetuvis audu Kational (.rige walass --274 १०.३ Rol eo aurule Casin २७.८ न . .. . | area -revo . सनी कर्म की गति न्यारीPage Navigation
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