Book Title: Karan Prakash
Author(s): Bramhadev, Sudhakar Dwivedi
Publisher: Chaukhamba Sanskrit Series Office

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Page 276
________________ ( 154 ) वेप गुप ( गुलगुच्छ, उत्थंघ, अमत्थ, उअन्त, उस्मिक उत्-क्षिप हखुव, उक्खिव ; (आपूर्वस्य क्षिपतेः) (णीरव, अक्खिव स्वप कमवस, लिम, लोट्ट, सुत्र ; আম্বল, স্বাস্থ ; वि-लप झंख, वडवड, विलव लिंप लिंप विड, बड, गुप्प कृपांकरोति अवदावेद प्रदीप तेश्रव, संदुम, संधुक्क, अभुत्त; लभ संभाव, स्नुभ; खउर, पड्डह; प्रा-रभ आरंभ, आढव, प्रारभ ; उप-श्रा-लभ ऊरंव, पच्चार, वेखव ; उवालभ ; अव जुंभ जंभा, जंभाप्रद नम णव; नम (भाराकान्त कतरि) णिमुढ, नव ; वि-श्रम णिब्वा, वीसम श्रा-क्रम उहाव उत्थार, वंद, अक्कम ; (टिरिटिल्ल, ढुडुल, ढंढल्ल, चक्कम्म, सम्म, भ्रम भमड, भमाड, तलअंट, रुंट, कुंप, भुम, गुम, (फुम, फुम, ढुम, डुम, पर, भम ; सुभ Aho ! Shrutgyanam

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