Book Title: Karan Prakash
Author(s): Bramhadev, Sudhakar Dwivedi
Publisher: Chaukhamba Sanskrit Series Office

View full book text
Previous | Next

Page 278
________________ ( 156 ) उत-छल वि-गल मील वल भ्रंश नश उत्थल, थिप्प, गिट्टह विमट्ट, दल; मिन्न, मील; वम्फ, वल; फिड, फिट्ट, फुड, फुट्ट, चुक्क, भुल, भस । |णिरणाम, णिवह, श्रवसे इ, पडिसा, सेह । अवहर, नस्म । श्रीवास। अपपाह: (निअच्छ, पिच्छ, अवअच्छ, अकसह्य , रचज्ज, मच्चव, देक्ख, उअक्ख, अवक्ख, ( अवअक्ख, पुल, निश्र, प्रवास । (फास, फंस, फरिम, छिव, छिह, बालंख आलिह; परित्र, पविम ; (२) अव क्रोश सं-दिश दृश (१) स्पश प्र-विश प्र-मृशमुषोः पिष णिवह, णिरिणाम, णिरिणजज, रोंच (चड्ड, पीस । (१) शौरसेन्या दशेः पेछ, pechch, is substituted for dris in the sauraseni, थपधशे दश प्रस, in the apatrransa prassa is substituted for dxzs, कल्पलतिकामते देखथ, according to kalpalatika dekkha is also substituted for it. (p) In the apabhrans'a paisaba is substituted for pra-bis 999 नपर्व कस्यविशलेः परसव इत्यादेशो भवति । Aho! Shrutgyanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 276 277 278 279 280 281 282 283 284