Book Title: Kalpasutram
Author(s): Bhadrabahuswami, Shantisagar
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 7
________________ श्रीकल्पकौमुद्यां उपोद्घातः MAHASI THIS Nimilaili R SITE Nilam HaiMINI अहम् । तपागच्छगगननभोमणिश्रीमहामहोपाध्यायधर्मसागरगणिशिष्यमहोपाध्यायश्री-.. श्रुतसागरगणिशिष्यमहोपाध्यायश्रीशान्तिसागरगणिसंहब्ध ___कल्पकौमुद्याख्यवृत्तियुतम् युगप्रधानोत्तमश्रीभद्रबाहुस्वामिसूत्रितं श्रीकल्पसूत्रम् ॥ I IIPAHIND M ARRI HITRATIMimi mulaneonlIHHIN AHAM RA SUPERHIT NITINE Imus mean MinIMI MITHASTRahimminalmmamraphir ANIMAHINICHATARIANGAINILIPINA प्रणम्य परमानन्दकन्दकन्दलनाम्बुदम् । वर्द्धमानासमानश्रीवर्द्धमानजिनेश्वरम् ॥१॥ यद्यपि बह्वयः सन्ति श्रीमत्कल्पस्य वृत्तयो रुचिराः। संक्षिप्तमृदुरुचीनां तथापि नैवोपकारकृतः ॥२॥ सूत्रार्थचर्च्ययुक्तिप्रभृतीनपहृत्य पृथुकबोधार्थम् । तस्मात्तस्याक्षेपाद्वक्ष्ये सङ्केपतोवृत्तिम् ।।३।। त्रिभिर्विशेषकम् । श्रीमद्गुरूत्तमोपज्ञबह्वर्थगुरुवृत्तितः। ससूत्रार्थान्तरादीनि, बोद्धव्यानि बुधैरिह ॥४॥ . इह हि साम्प्रतीनपरम्परया गुरुप्रदत्तादेशक्षेत्रे चतुर्मासकस्थिताः माधवो मङ्गलार्थ चतुर्विधसंघसमक्षं पञ्चदिनी श्रीपर्युषणा

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