Book Title: Kailashsagarsuriji Jivan yatra
Author(s): Mitranandsagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra C कि पूजा के सन्दर्भ में मुनिश्री के साथ बहुत देर तक विचारविमर्श किया और अन्ततः मुनिश्री को एक बात के लिए तो मना ही लिया कम से कम आप मूर्तिपूजा का विरोध तो कभी न करें ।' मूर्तिपूजा के सम्बन्ध में सत्य एवं नवीन जानकारी मिल जाने के बाद काशीराम के मन में उस पुस्तक के लेखक को प्रत्यक्ष रूप से मिलकर अपनी जिज्ञासा को उनके समक्ष प्रकट करने की इच्छा जाग्रत हुई । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मूर्तिपूजा संबंधी उस पुस्तक के लेखक थे बीती सदी के अजोड़ विद्वान और योगनिष्ट आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरीवरजी म. सा., जिन्होंने जैन तत्त्वज्ञान - आत्मज्ञान-दर्शन आदि अनेक विषयों पर स्वतंत्र रूप से लगभग 125 अमर ग्रन्थों का विराट सर्जन किया । गुजरात की यात्रा पर उन अपूर्व प्रतिभाशाली, योगनिष्ठ आचार्यश्री को मिलने काशीराम गुजरात की यात्रा पर रवाना हुए पर, अफसोस कि गुजरात आने के बाद उन्हें जानने को मिला कि बहुत समय पहले ही पू. आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. का स्वर्गवास हो गया था । अतः काशीराम पूज्य योगनिष्ठ आचार्यश्री के शिष्य परम पूज्य आचार्यश्री कीर्तिसागरसूरीश्वरजी म. सा. से मिले । पू. आचार्यश्रीने मूर्तिपूजा सम्बन्धी काशीराम की समस्त जिज्ञासाओं का शांतिपूर्वक समाधान किया । उसके बाद इन्हीं पूज्य आचार्यश्री की प्रेरणा से काशीराम शत्रुंजय ( पालीताणा ) की यात्रा के www.kobatirth.org १७ For Private And Personal Use Only

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