Book Title: Kailashsagarsuriji Jivan yatra
Author(s): Mitranandsagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra परमात्मा के पास जाना चाहता हूँ, मुझे जीवन जीने का कोई मोह नहीं है और मरने का कोई डर नहीं है । ' - यही आचार्य श्री के अंतिम उद्गार थे । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आपका पावन - पवित्र जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत था । हर व्यक्ति के लिए आप एक आदर्श थे । आज पूज्य आचार्य श्री अपने बीच नहीं है, परन्तु उनकी उज्ज्वल जीवन - साधना हर समय लोगों के स्मृति पट पर अमर रहेगी | आप शांति एवं प्रसन्नता की मूर्ति एवं हम सब के राहवर थे । परमात्मा के प्रति श्रद्धा तो आपमें कूट-कूट कर भरी हुई थी । आपके रोम-रोम में जिन शासन और परमात्मा का नाम, प्राणी मात्र के प्रति मैत्री भावना की अपूर्व गूंज थी । आप अपना अधिकतर समय परमात्मा के स्मरण एवं चिन्तन-मनन में व्यतीत करते थे । कभी आपको व्यर्थ में समय व्यतीत करते नहीं देखा गया । जिस प्रकार से समय का सुन्दर उपयोग आचार्य श्री ने अपने जीवन में किया, शायद ही वैसा इस काल में कोई कर सकेगा । आचार्य श्री सरल - सौम्य स्वभाव की एक जीवित जाग्रत प्रतिमा थे । आचार्यश्री का जीवन एवं निर्मल चारित्र अपने आप में अनूठा, अनोखा, अद्वितीय, अनुपम एवं एक आदर्श था, जो युगों-युगों तक श्रद्धालुओं के जीवन-पथ को आलोकित कर, उन्हें उज्ज्वल जीवन जीने की प्रेरणा देता रहेगा । अंत में पूज्य आचार्यश्री के परम पावन चरण-कमलों में भावभरी कोटिशः वन्दना ! www.kobatirth.org ....... २९ For Private And Personal Use Only

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