Book Title: Kailashsagarsuriji Jivan yatra
Author(s): Mitranandsagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संस्कार श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा के प्रांगण में किया गया । ऐसे महान युगद्रष्टा, अपूर्व पुण्यनिधि पूज्य आचार्यश्री के जाने से व्यक्ति, समाज और समष्टि को बहुत बड़ा नुकसान पहुँचा है, जिसे आने वाले कई युगों तक पूरा नहीं किया जा सकता । कई सदियों के बाद ऐसे विरल और विराट व्यक्ति का समाज में अवतरण होता है, जो स्वयं के आत्मकल्याण के साथ-साथ हजारों-लाखों लोगों को आत्मकल्याण के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देकर उनके जीवन-पथ को आलोकित करते हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जन्म लेना और मरना तो इस संसार का एक स्वभाव है । जन्म लेने वाला व्यक्ति एक न एक दिन अवश्य मरता है । परन्तु समाधिमय मृत्यु विरलों को ही प्राप्त होती है । पूज्य आचार्यश्री की समाधिमय मृत्यु उनकी उज्ज्वल एवं पवित्र जीवन-साधना का स्पष्ट चित्रण है । यह मौत वास्तव में मौत नहीं बल्कि एक महोत्सव था । आचार्यश्री अपनी मृत्यु को शोक नहीं, बनाकर गए | आपकी समग्र जीवन साधना थी । आचार्य श्री हर समय कहा करते थे कि मय मृत्यु प्राप्त करना चाहता हूँ ।' वास्तव में यही हुआ, उन्होंने पूर्ण जागृति, शांति एवं प्रसन्नता के साथ मृत्यु प्राप्त की । www.kobatirth.org मृत्यु से पूर्व रात्रि में आपने अपने शिष्यों प्रशिष्यों आदि से मिच्छामि दुक्कड़ं देकर अपनी आत्मशुद्धि की और उनसे कहा कि- 'मैं मृत्यु प्राप्त कर श्री सीमंधरस्वामी २८ बल्कि महोत्सव मृत्यु के लिए 'मैं समाधि For Private And Personal Use Only

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