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अनुक्रमणिका
मंगलकामना.. प्रकाशकीय .........
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प्राक्क
थन ..................................................................................
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अनुक्रमणिका ................. ...........................................................................IV प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत ....................
....... v-vi हस्तप्रत सूचीकरण सहयोग सौजन्य एवं सादर ग्रंथ समर्पण
........vii-viii हस्तप्रत सूची
........१-४७४ परिशिष्ट : कृति परिवार अनुसार प्रत-पेटाकृति अनुक्रम संख्या....................... ४७५-५९६ १. संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति। क्रमांक सूची परिशिष्ट - १ ................
...४७५-५१२ २. देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २ ......
..५१३-५९६
इस सूचीपत्र में हस्तप्रत, कृति व विद्वान/व्यक्ति संबंधी जितनी भी सूचनाएँ समाविष्ट की गई हैं, उन सबका विस्तृत विवरण व टाइप सेटिंग संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ vi एवं परिशिष्ट परिचय संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ ४५४ पर हैं. कृपया वहाँ पर देख लें.
प्रस्तुत खंड १६ में निम्नलिखित संख्या में सूचनाओं का संग्रह है. 0 प्रत क्रमांक - ६२९४१ से ६८४५१ 0 इस सूचीपत्र में मात्र जैन कृतियों वाली प्रतों का ही समावेश किए जाने के कारण वास्तविक रूप से २१९५
प्रतों की सूचनाओं का समावेश इस खंड में हुआ है. ० समाविष्ट प्रतों में कुल ३७२५ कृति परिवारों का समावेश हुआ है. ० इन परिवारों की कुल ४२१६ कृतियों का इस सूची में समावेश हुआ है. ० सूची में उपरोक्त कृतियों कुल ६६३१ बार आई हैं.
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