Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 13
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 449
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४३४ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची नलदमयंती रास, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, वि. १६७३, आदि: सीमंधरस्वामी प्रमुख, अंतिः समयसुदर० सचितवी, खंड-६, गाथा - ९३१, (वि. ढाल ३९ ) । ५५२६३. (+) वरदत्तगुणमंजरी चौपाई, संपूर्ण वि. १७९५, श्रवण शुक्ल, २. शुक्रवार, श्रेष्ठ, पृ. २२, ले. स्थल, चांपानेर-भणांय, प्रलेसा, सरुपा (विजयगच्छ); पठ, सालमसीप अन्य मु. रषभदासजी ऋषि (गुरु मु. वस्तपालजी ऋषि, विजयगच्छ); गुपि. मु. वस्तपालजी ऋषि (गुरुमु, हरचंदजी ऋषि, विजयगच्छ); मु. हरचंदजी ऋषि (गुरु मु. भगवानजी ऋषि, विजयगच्छ): मु. भगवानजी ऋषि (गुरु मु. मनोहर ऋषि, विजयगच्छ); मु. मनोहर ऋषि (गुरु मु. मल्लिदास, विजयगच्छ); मु. मल्लिदास (गुरु मु. देवराज, विजयगच्छ); मु. देवराज (गुरु आ. पद्मसूरि, विजयगच्छ); अन्य श्राव मयाराम, श्राव. धरमा, प्र.ले.पु. विस्तृत, प्र. वि. संशोधित, जैदे., (२५.५४११.५ १३४३५). " वरदत्तगुणमंजरी चौपाई - ज्ञानपंचमीफलमाहात्म्ये, मु. ऋषभसागर, मा.गु., पद्य, आदिः प्रणमुं जगदानंदकर, अंतिः ऋषभसागर० चित्तै जी, ढाल - २१. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५२६४. (+४) विक्रमसेन चौपाई, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. २९-७ (५, ९, ११, १३, १८, २५, २८) = २२, पू. वि. बीच-बीच व अंत के पत्र नहीं हैं. प्र. वि. पदच्छेद सूचक लकीरें संशोधित मूल पाठ का अंश खंडित है, अक्षरों की स्याही फैल गयी है, जैदे., " (२५x१०.५, १५X४५-५२), विक्रमसेनराजा चौपाई. मु. मानसागर, मा.गु., पद्य वि. १७२४, आदि: सुखदाता संखेश्वरो, अंति: (-), (पू. वि. बीच-बीच के पाठ व ढाल की गाथा - ९ अपूर्ण से आगे के पाठ नहीं हैं.) ५५२६६. भरतचक्री चौपाई, अपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २२. पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं. दे., (२५x११.५, १५X३५). भरतचक्रवर्ती रास, पासो पटेल, मा.गु., पद्य, वि. १८१८ आदि अरि हणवे अरिहंतजी, अंति: (-), (पू.वि. डाल- २० की गाथा - ६ तक है.) ५५२६७. अंजनासुंदरी रास, अपूर्ण, वि. १९४३ माघ कृष्ण, ८, मध्यम, पृ. २३-१ (१) =२२, ले. स्थल, जालणालश्कर, दे., (२६X११, १२X३० ). अंजनासुंदरी रास, मा.गु., पद्य, आदि: (-); अंति: सति रे सिरोमणि गाई ऐ, गाथा - १६१, (पू. वि. गाथा- ४ अपूर्ण से है.) ५५२६८. चमत्कारचिंतामणी व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. २०वी, मध्यम, पृ. २१. कुल पे. २, दे., (२५.५४११.५ १५३४-३६). १. पे. नाम चमत्कारचिंतामणि सह टवार्थ, पृ. १अ २०आ, संपूर्ण " चमत्कारचिंतामणि, राजऋषिभट्ट, सं., पद्य, आदि: नचेत् खेचराः स्थापित, अंति: मृषिर्नाम चिंताणीयम्, श्लोक-१०९. चमत्कारचिंतामणि- टबार्थ, मा.गु., गद्य, आदि: (१) श्रीवामेय जिनं नत्वा, (२) चक्र में जन्मकुंडली, अंति: राजऋषि ० ग्रंथं करोति २. पे. नाम. ज्योतिष लोकसंग्रह, पृ. २० आ-२१आ, संपूर्ण. ज्योतिष श्लोक संग्रह, सं., पद्य, आदि: मीने मेषे त्रिघटिका; अंति: छदिना पंचरात्रा, श्लोक-४. ५५२७४. (+) पाक्षिकसूत्र, दशवैकालिकसुत्र व देववंदन भाष्य, अपूर्ण, वि. १८वी, मध्यम, पृ. १९, कुल पे. ३, प्र. वि. पवच्छेद सूचक लकीरें संशोधित., जैदे., (२६X११, १३X३३-३९). १. पे नाम, पाक्षिकसूत्र, पृ. १आ-११ आ. संपूर्ण, हिस्सा, प्रा., प+ग, आदि तित्थंकरे व तित्थे, अति: जेसिं सुअसारे भत्ति. २. पे. नाम. दशवैकालिकसूत्र, पृ. ११आ-१७आ, संपूर्ण. 1 आ. शव्यंभवसूरि, प्रा., पद्य, वी. रवी आदि धम्मो मंगलमुकि, अंति: जासि तिवेमि, अध्ययन- १०, ( वि. चूलिका-२) ३. पे. नाम. देववंदन भाष्य, पृ. १७आ-१९आ, अपूर्ण, पू. वि. अंत के पत्र नहीं हैं. चैत्यवंदनभाष्य, आ. देवेंद्रसूरि, प्रा., पद्य, आदि: वंदित्तु वंदणिज्जे, अंति: (-), (पू. वि. गाथा - ५४ तक है.) ५५२७५. (#) छकाय बोल थोकडा व श्लोक संग्रह, संपूर्ण, वि. १९५२, वैशाख कृष्ण, ९, मंगलवार, श्रेष्ठ, पृ. १८, कुल पे. २, ले. स्थल. अमदावाद, प्रले. शिवशंकर लहिया रवचंद रणछोडदास मोदी, अन्य श्रावि दीवालीबाई, सा. परसनबाई चेली, प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. अक्षरों की स्याही फैल गयी है, प्र. ले. श्लो. (५६५) यासं पुस्तकं दृष्ट्वा, दे., (२५.५X१२, १३X३५). १. पे. नाम. छकाय बोल थोकडा, पृ. १आ-१८अ संपूर्ण. , For Private and Personal Use Only

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