Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 13
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 515
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५०० संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादिक्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ पार्श्वजिन मंत्राधिराज स्तोत्र, सं., श्लो. ३३, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वः पातु वो), ५२१८४-३(+#), ५२४७०(६) पार्श्वजिन स्तव, सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू., (लक्ष्मीनिदानं गुरु), ५२५२३-१(६) । पार्श्वजिन स्तव, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (विशदगुणविचित्र), ५२१८४-६(+#) पार्श्वजिन स्तव-अट्टेमट्टेमंत्राम्नाय गर्भित, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (ॐ नमो भगवते श्री), ५२११५(#) (२) पार्श्वजिन स्तव-अट्टेमट्टेमंत्राम्नाय गर्भित-मंत्रसाधन विधि, संबद्ध, सं., गद्य, मूपू., (कुंकुमगोरोचनकर्पूर), ५२११५(#) पार्श्वजिन स्तव-करहेटक, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (आनंदभंदकुमुदाकरपूर्ण), ५२८३७-४ पार्श्वजिन स्तव-गोडीजी, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (श्रीमत्पार्श्वजिने), ५२५२३-४ पार्श्वजिन स्तवन, मु. गजविजय, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (भजत भव्याः सदा पार्श), ५२२३७-६(+#) पार्श्वजिन स्तवन, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. १७, पद्य, मूपू., (कामे वामेय शक्तिर्भव), ५५१०४-४(+#) पार्श्वजिन स्तवन, आ. जिनप्रभसूरि, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्व भावतः), ५५१०४-५(+#) पार्श्वजिन स्तवन-केवलाक्षर, मु. शिवसुंदर, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (भवदवलवन तमजलद समसम), ५२४७१(+) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. जिनभक्ति, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (जय जय गोडीजी महाराज), ५२४१२-१(#) पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर मंडण, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (नमः पार्श्वनाथाय), ५४२८६-९(+) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनतीर्थ, सं., श्लो. २, पद्य, मूपू., (श्रीसेढीतटिनीतटे), ५५०३१-२७(+#) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभन मंत्रगर्भित, ग. पूर्णकलश, प्रा.,सं., गा. ३७, ई. १२००, पद्य, मूपू., (जसु सासणदेवि वएसकया), ५२२१७(+#), ५२२४६-१(#) (२) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनक मंत्रगर्भित-स्वोपज्ञ वृत्ति, ग. पूर्णकलश, सं., गद्य, मूपू., (जं संथवणं विहिय तस्स), ५२२१७(+#), ५२२४६-१(#) पार्श्वजिन स्तुति, आ. जिनलाभसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (विशदसद्गुणराजिविराजि), ५२५२३-३ पार्श्वजिन स्तुति, मु. शोभनमुनि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (मालामालानबाहुर्दधददध), ५२२८६-१(+) (२) पार्श्वजिन स्तुति-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (स्या प्रतिं धरनो माल), ५२२८६-१(+) पार्श्वजिन स्तुति, मु. हितविजय, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (संसार दावानल दाह नीर), ५२२३७-१(+#) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ३, पद्य, म्पू., (जलाग्नी भारी चौरारी), ५२२१४-३(#) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, म्पू., (विश्वस्वामी जीयात्), ५२७६६-३(+#) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (हर्षनतासुरनिर्जरलोक), ५५०३१-१६(+#), ५५३६४-६(+#), ५३५६७-१, ५२१५२-१(#) पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (नै दें कि धप), ५२०७५-१(+#), ५२४९०-४(#), ५४५४६-१७() पार्श्वजिन स्तुति-पलांकित, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (श्रीसर्वज्ञ ज्योति), ५५०३१-२४(+#), ५५३८७-३(+), ५४५४६-७(#) पार्श्वजिन स्तुति-पलांकित जेसलमेरमंडन, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (शमदमोत्तमवस्तुमहापण), ५३४२९-६(+), ५५०३१-२०(+#), ५५३६४-७(+#), ५३५६७-७, ५४५४६-१३(#) । पार्श्वजिन स्तुति-रत्नाकरपच्चीसी प्रथमश्लोकपादपूर्तिमय, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (श्रेयः श्रियां मंगल), ५२३२१-४ पार्श्वजिन स्तुति-समवसरणभावगर्भित, आ. जिनकुशलसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (हर्षनतासुरनिर्जरलोक), ५४५४६-१५(#) पार्श्वजिन स्तुति-स्तंभनतीर्थ मंडन, मु. लावण्यविमल, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (ग्रामे श्रीस्तंभ), ५२७२९-२(+) पार्श्वजिन स्तोत्र, मु. जयसागर, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (धर्ममहारथसारथिसारं), ५५०३१-७(+#) पार्श्वजिन स्तोत्र, आ. जिनकुशलसूरि, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं श्रीं धरणोर), ५२५३४-२(#) पार्श्वजिन स्तोत्र, मु. जैनचंद्र, सं., श्लो. १७, पद्य, मूपू., (श्रेयो दधानं कमला), ५२६१७ पार्श्वजिन स्तोत्र, मु. धर्मसिंघ, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (वंछित आस पुरण प्रभू), ५३२१२-१ पार्श्वजिन स्तोत्र, आ. शिवनाग, सं., श्लो. ३९, पद्य, मूपू., (धरणोरगेंद्रसुरपति), ५२७१४-१(+) पार्श्वजिन स्तोत्र, प्रा., गा. ६, पद्य, मूपू., (ॐचिंतामणिं पासनाह), ५४१३४-३(+#), ५२५८०-१(#) पार्श्वजिन स्तोत्र, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू, (अभिनवमंगलमालाकरण), ५५०३१-१४(+#) For Private and Personal Use Only

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