Book Title: Jinvijayji ka Sankshipta Jivan Parichay Author(s): Padmadhar Pathak Publisher: Sarvoday Sadhnashram Chittorgadh View full book textPage 9
________________ उनके साथ विविध प्रकार का विचार-विनिमय करते रहते थे । यह निश्चय हुआ कि महात्माजी द्वारा संस्थापित "गुजरात विद्यापीठ" में एक राष्ट्रीय सेवक के नाते मुनिजी सहयोग देते रहेंगे । जीवनक्रम और दिनचर्या में परिवर्तन अनिवार्य हो गया । कुछ दिनों बाद इसी विद्यापीठ में "गुजरात पुरातत्त्व मंदिर" की योजना बनाई और उसके प्राचार्य पद पर महात्माजी ने मुनिजी की नियुक्ति की । यहाँ से मुनिजी ने "पुरातत्त्व" नामक संशोधनात्मक त्रैमासिक पत्रिका एवं संस्कृत - प्राकृत प्राचीन गुजराती आदि के ग्रंथों के प्रकाशन- निमित्त "पुरातत्त्व मंदिर ग्रंथावली" माला के प्रकाशन की योजना बनाई और तदनुसार कार्यारम्भ कर दिया । दिसम्बर सन् १९२१ में कांग्रेस का अधिवेशन नागपुर में हुआ । श्रीमुनिजी भी महात्माजी के साथ वहाँ गए । इन्हीं दिनों नागपुर में आयोजित "जैन पौलिटिकल कांफ्रेंस" की अध्यक्षता की । पूना निवासी जैनियों ने सम्मेत शिखर की यात्रा के लिए विशेष रेल का प्रबंध किया जिसमें तीर्थभ्रमरण हेतु श्री मुनिजी भी साथ गए । इसी प्रसंग में वे कलकत्ता पहुँचे जहाँ जैन संघ ने उनके सम्मान में मानपत्र आदि भेंट किए । दक्षिण के नेपानी गाँव में श्वेताम्बर जैनियों का प्रथम सम्मेलन हुआ जिसकी अध्यक्षता मुनिजी महाराज ने की । थोड़े समय बाद दिगम्बर सम्प्रदाय का अधिवेशन धारवाड़ में हुआ । उसकी अध्यक्षता भी श्रीमुनिजी ने की । Jain Education International ७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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