________________ नामक एक प्राचीन राजस्थानी ग्रंथ का उत्तम संपादन किया। कई संशोधनात्मक लेख और निबन्ध प्रकाशित किये। अभी हाल ही में इनकी लिखी हुई, हिन्दी भाषा के एक परम् हितैषी, अंग्रेज विद्वान् फ्रेडरिक पिकौंट के व्यक्तित्व और कर्तृत्व विषयक, विशिष्ठ महत्व की शोध पुस्तक, काशी की सुप्रसिद्ध "नागरी प्रचारिणी सभा” द्वारा प्रकाशित हुई है, जो हिंदी भाषा के प्रारम्भिक युग के बारे में अभिनव प्रकाश डालने वाली है। डॉ० पद्मधर पाठक ने अपनी पीएच. डी. की डिग्री के लिये जो महानिबन्ध लिखा है वह भी अपने विषय का एक विशिष्ठ शोध ग्रंथ है। इस ग्रंथ का विषय है "मुगल कालीन खाद्य सामग्री।" सुप्रसिद्ध परीक्षक विद्वानों ने इस ग्रंथ को एक मूल्यवान् सामग्री प्रदान करने वाला बताया है। डॉ० पद्मधर पाठक, हिंदी के महा-मनीषी, उन्नायक, और अमरनाम प्राप्त करने वाले स्वर्गीय श्री श्रीधरजी पाठक के पौत्र हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org