Book Title: Jinvani Special issue on Samyagdarshan August 1996 Author(s): Dharmchand Jain Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal View full book textPage 3
________________ प्रकाशक : सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल बापू बाजार, दुकान नं. १८२-१८३ के ऊपर जयपुर - ३०२ ००३ (राज.) फोन नं. ५६५९९७ संस्थापक : आवरण पृष्ठ की गाथा श्री जैनरत्न विद्यालय, भोपालगढ़ (राज.) का अर्थ सम्पादक : नादंसणिस्स नाणं, डॉ. धर्मचन्द जैन नाणेण विणा न हुंति चरणगुणा । अगुणिस्स नत्थि मोक्खो, सम्पादकीय सम्पर्क सूत्र : नत्थि अमोक्खस्स निव्वाणं ।। कुम्भट भवन, कांकरियों की पोल सम्यग्दर्शन से रहित साधक महामन्दिर , जोधपुर-३४२ ०१० को सम्यग्ज्ञान नहीं हो सकता और सम्यग्ज्ञान न हो तो सम्यक् फोन नं. ४७३९४ • चारित्र या चारित्रसम्बन्धी सम्पादक मण्डल : सदगुणों का प्राप्त होना अशक्य है। चारित्र सम्बन्धी सदगुणों की डॉ. संजीव भानावत प्राप्ति जिसे नहीं हुई, वह कर्मों से पुखराज मोहनोत मुक्त नहीं हो सकता, और कर्मो से मुक्त हुए बिना समस्त कर्मक्षयरूप अगस्त, १९९६ जो निर्वाण (आत्मा का परमशांतिरूप) पद है, उसकी वीर निर्वाण संवत् २५२२ प्राप्ति नहीं होती। श्रावण, संवत् २०५३ वर्ष ५३ भारत सरकार द्वारा प्रदत्त रजिस्ट्रेशन नं. ३६५३/५७ सदस्यता : स्तम्भ सदस्यता : २००० रु. संरक्षक सदस्यता : १००० रु. आजीवन सदस्यता देश में : ५०० रु. विदेश में : १०० $ (डालर) त्रिवर्षीय सदस्यता : १२० रु. वार्षिक सदस्यता :५० रु. विशेषाङ्क का मूल्य : ५० रुपये मुद्रक-दी डायमण्ड प्रिंटिंग प्रेस, जयपुर 0 562929, 564771 फोटोटाईप सेटिंग-जे. के. कम्प्यूटर सेन्टर, जालोरी गेट, जोधपुर नोट - (१) यह आवश्यक नहीं कि लेखकों के विचारों से सम्पादक या मण्डल की सहमति हो । (२) कोई भी राशि ‘जिनवाणी' जयपुर के नाम ड्राफ्ट बनवाकर या मनीआर्डर द्वारा प्रकाशक के पते पर भिजवायी जाये। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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