Book Title: Jinvani Sangraha
Author(s): Satish Jain, Kasturchand Chavda
Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya

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Page 8
________________ ORRIORRHOMGHOREAKDire + मंदिरों के लिये बड़ाभारी सुभोता। काश्मीरी केशर । पवित्र केशर हमारे यहां हर समय तैयार रहती है ह, बहुत ही कम नफा लेकर भेजी जाती है एक वार परीक्षा ॐ अवश्य कीजिये । ३) तोला। fohotoshdohoriotroorONGrowsrograsst स्कटिक की मालायें । चमकती हुई सुन्दर मालाये, हमारे यहां से मंगाईये । १) को ४ तथा २५) रुपया सैकड़ा। PRERORRCTORCHORROL TERRORORRORGEORG दशांग धूप। पवित्रता के साथ तैयार की हुई यह दशांग धूप बहुत ही उत्तम और सुगंधित है दाम ५) रुपया सेर आधपाव का डब्बा ॥३) हमारा पताजिनवाणी प्रचारक कार्यालय, बड़ाबाजार-कलकत्ता। जाHOORIGHoronsterest

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