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E-Numbers
स्वयं जानें, पहचानें.... एवं त्यागें मांसाहार!
शाकाहारी पदार्थ- दर्शक हरे निशान की विश्वसनीयता में अधिकतर उत्पादक प्राणीजन्य स्रोत का विकल्प चुन संदेह के घेरे में आने के पश्चात् केन्द्रीय सूचना अधिकार कानून के तहत वस्तु स्थिति तक पहुँचने का प्रयास निरंतर जारी है। दरअसल, कानून की व्याख्याएँ, नीयत एवं क्रियान्वयन सब कुछ भ्रमित एवं व्यथित करनेवाली ही है भ्रष्ट व्यवस्था का बोलबाला, कर्मठ शासकों का अभाव तथा जनमानस की 'चलता है' प्रवृत्ति इन कारणों से गति चाहे धीमी हो, किन्तु हमें विश्वास है कि मांसाहार का पिछले द्वार से शाकाहारियों / जैनियों के घर में प्रवेश अवश्य रुकेगा ।
लेते हैं, जो प्रचुर मात्रा में प्राप्त करना उनके लिए कठिन नहीं होता उत्पादन प्रक्रिया के दौरान बहुत सारी रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजरे होने के कारण उत्पादकों की प्रयोगशाला जाँच में Additives का नाम तो खोजा जा सकता है, किन्तु उसका स्रोत खोज पाना अधिकतर Food Laboratory की क्षमता के बाहर है। यहाँ पर गंभीर विसंगति यह है कि उन्हीं प्रयोगशालाओं के दम पर समस्त राज्य सरकारें इन उत्पादकों पर कानून के प्रावधानों के उल्लंघन की कारवाई करती हैं । भ्रष्ट व्यवस्था की मिलीभगत से लालची उत्पादक धड़ल्ले से मांसाहारी अंतरघटकों का प्रयोग कर शाकाहारी ग्राहकों को लुभाने के लिए हरा निशान लगाकर करोड़ों भोले लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं। बेबस कानून में यह ताकत नहीं कि वह उन्हें रोक सके। संदेह होता है कि संभवतः यही कारण है कि सरकार भी जानबूझकर प्रयोगशालाओं को परिपूर्ण नहीं बना रही हो।
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Additives अर्थात् अंतर घटक पदार्थ चाहे शाकाहारी घटकों से बना हो, उसे अपेक्षित स्वाद, स्वरूप, गुणधर्म, टिकाऊपन आदि प्रदान करने के लिए जो सैकड़ों प्रकार के Additives हैं उनमें अनेकों का स्रोत मांसाहारी है। यूरोपियन कानूनों के तहत अंतरघटकों की पहचान हेतु नम्बर प्रदान किये गये हैं जिसे ई (E) के आगे लिखा जाता है। इस पद्धति को E-Numbering System (ENS) कहा जाता है।
सूचना अधिकार के तहत नये सिरे से केन्द्रीय
E-Number को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा हैदराबाद व
मैसूर की प्रयोगशालाओं से विस्तृत खोजबीन से युक्त आधार देकर जानकारी माँगी गई है। यह सारी प्रक्रिया अतः जब तक हम हमारे लक्ष्य शाकाहार प्रेमियों की सुविधा
बहुत समय लेनेवाली है तक न पहुँचे, तब तक
के लिए E-numbers दे रहे हैं। उत्पादों पर अत्यन्त छोटे अक्षरों से लिखा जाँच पड़ताल कर ही प्रयोग रोकने का उपभोक्ता स्वयं निर्णय करें।
Animal Derived ( प्राणीजन्य स्रोत)
E-120
E-422, E-471, E-485, E-488 E-542
E-631
E-904, E-910, E-920, E-921 Possibly Animal Derived E-252, E-270
गया है
100 Colouring Agents
200
300
Conservation Agents
Anti-oxidants
400 Emulsifiers, Stabilizers and Thickener
500
Anti-Coagulants
600
Taste Enhansers
900
Coatings
1400 Modified starches
यूरोपियन कानून के बाद 'ग्लोबलायजेशन' के चलते भारत में भी ENS प्रणाली लागू की गई, जो शाकाहारप्रेमियों के लिए लाभदायक साबित हो रही है। ऐसे अनेक Additives हैं, जिनका स्रोत प्राणीजन्य एवं वनस्पतिजन्य दोनों का हो सकता है। कुछ Additives ऐसे भी हैं, जो सिर्फ प्राणजन्य हैं। रासायनिक तथा वनस्पति पर प्रक्रिया करके Additives प्राप्त करना अधिक कठिन एवं खर्चीला होता है, जब कि अंडा, मांस, प्राणियों के शव / अवयवों से उसी Additives की प्राप्ति सहज और सस्ती होती है। कम लागत और अधिक मुनाफे के चक्कर
24 नवम्बर 2009 जिनभाषित
Jain Education International
E-322, E-325, E-326, E-327
E-430, E-431, E-432, E-433, E-434, E-435,
E436, E-470a, E-470b, E-472, E-472a, E-472b, E
472c, E-472d, E-472e, E-472f, E-473, E-474, E475, E-476, E-477, E-478, E-479a, E-480, E-481,
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