Book Title: Jinabhashita 2009 06
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 19
________________ है। बबूल के काँटे बोने से आम नहीं फलते। और आम । पूजा का मिथ्यात्व भी दिया। श्रवणवेलगोला के मठ में का पेड़ लगाने से काँटे नहीं लगते। जगत में तो चोरी | भगवान् जिनेन्द्र .के गृहों के साथ ही देवी पद्मावती के बेईमानी को भी फलते फूलते देखते हैं, यहीं कलिकाल भी गृह बने हुए हैं। और लोकमूढ़ता देखने को मिलती का प्रभाव है। जो मनुष्यों को कुपथ पर ले जाकर उन्हें | है। संसारमार्ग का ही पथिक बनाता है। जैनधर्म में गणों के अनराग को भक्ति कहते हैं पद्मावती के उपासकों से हमारा प्रश्न है कि पद्मावती में देवी होने के कारण कौन ऐसे गुण हैं, जो पद्मावती और भगवान् पार्श्वनाथ में बड़ा कौन है? कोई| पूजने योग्य हैं? वह भगवान् पार्श्वनाथ की भक्त है, उसी भी पद्मावती का भक्त पद्मावती को भगवान् से बड़ा नहीं | का फल उसे प्राप्त हुआ है, तो आपको भी भगवान् कह सकता। जिन भगवान् पार्श्वनाथ के प्रभाव से नाग- | पार्श्वनाथ का भक्त होना चाहिये न कि देवी का। देवी नागनी धरणेन्द्र-पद्मावती हुए, उनसे बे बड़े कैसे हो सकते | देवताओं से प्रथम प्रतिमाधारी दार्शनिक श्रावक भी आत्मा हैं? तब जो फल भगवान् पार्श्वनाथ की भक्ति से प्राप्त | की विशुद्धि के कारण बड़ा है। इसी लिये पं० आशाधर हो सकता है, वह फल पद्मावती की भक्ति से कैसे प्राप्त जी ने लिखा है कि आपत्ति से व्याकुल होकर भी दार्शनिक हो सकता है? भगवान् की उपासना सम्यक्त्व की उपासना श्रावक कभी भी शासन देवों को नहीं पूजता। खेद है कि है और पद्मावती की उपासना मिथ्यात्व की उपासना है। | जैन तीर्थंकरों ने देवी-देवतओं के चक्र में फँसे मनुष्यों को सम्यक्त्व की उपासना का फल सांसारिक भोगों के साथ | देवों से बड़ा बतलाकर देवत्व के पद पर मनुष्य की प्रतिष्ठा अन्त में मुक्ति की प्राप्ति है और मिथ्यात्व की उपासना की थी, मनुष्य उसे भूलकर पुनः कदेवों के चक्र में फँसकर का फल अनन्त संसार है। अपने संसार को अनन्त बना रहे हैं। यह अनन्त संसार दक्षिण ने जहाँ हमें कुन्दकुन्द जैसे महर्षि का | जिनकी भक्ति के प्रसाद से शान्त होता है, वही सच्चे देव अध्यात्म दिया, वहाँ हिन्दूधर्म के प्रभाव से पद्मावती की । पूजनीय हैं। जैनसन्देश ३ सितम्बर १९८१ (सम्पादकीय) से साभार है। श्री बड़ेबाबा के मंदिर का डोम बनाना प्रारंभ । को लेकर अहम फैसले लिये गये। आचार्यश्री के आगमन से मंदिरनिर्माण में तेजगति आ गयी है। इसे कुण्डलपुर में संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर देखते हुये निर्माण कमेटी शीघ्रता से कार्य करने में जटी जी महाराज के आशीर्वाद से निर्मित हो रहे बड़ेबाबा | के विशाल मंदिर का डोम बनना प्रारंभ हो गया है। इसके बनने से शीघ्र ही मंदिर का भव्य स्वरूप दिखने सुनील बेजीटेरियन लगेगा। मंदिरनिर्माणसमिति के संयोजक श्री वीरेश सेठ कुण्डलपुर, जिला- दमोह (म.प्र.) के अनुसार डोम फिटिंग का सम्पूर्ण कार्यशिल्प ठेकेदार | सिंघई अरिहंत जैन 'दीवान' का सुयश खीमजी भाई के द्वारा किया जा रहा है, जो कि इस | मोरेना (म०प्र०) ख्यातिलब्ध प्रतिष्ठाचार्य पं० श्री कार्य को शीघ्र पूर्ण करने के लिये कटिबद्ध हैं। पवन कुमार शास्त्री 'दीवान' के यशस्वी सुपुत्र सिंघई डोम फिटिंग का महत्त्वपूर्ण कार्य प्रारंभ होने के अरिहंत जैन 'दीवान' ने वर्ष २००९ की हाईस्कूल परीक्षा पूर्व आचार्यश्री से भी आशीर्वाद प्राप्त किया गया।। जो कि (हिन्दी माध्यम से परिवर्तित कर) अंग्रेजी माध्यम आचार्यश्री ने स्वयं मंदिर के निर्माणस्थल पर पहुंचकर | से दी, उसमें सम्पूर्ण प्रदेश का कुल परीक्षाफल लगभग शिल्पकारों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। इस | ३५ प्रतिशत आने के बाबजूद भी ८५ प्रतिशत अंक प्राप्त अवसर पर कुण्डलपुर अध्यक्ष संतोष सिंघई के अलावा | कर आशातीत सफलता प्राप्त की है। एतदर्थ-आत्मीय मंदिर आर्किटेक्ट मनोज सोमपुरा, अयूब खान, खिमजीभाई। परिजन / पुरजन व इष्ट मित्र, शुभ चिन्तकों ने हार्दिक के साथ मिलकर मंदिर निर्माण कमेटी की दो दिवसीय | बधाई- शुभकामनाएँ दी हैं। महत्त्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें मंदिरनिर्माण . सिंघई कु० महिमा जैन - जून 2009 जिनभाषित 17 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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