Book Title: Jinabhashita 2009 06
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 30
________________ जरूर रखें। यदि एक बच्चे में भी पढ़ने की ललक जाग । जिनवाणी को पढ़ेंगे ही। दिल्ली में लाल मंदिर, मुम्बई में गई, तो आपका श्रम सार्थक होगा। स्मरण रखें, जिस घर | भूलेश्वर, कोलकत्ता में बड़ा मंदिर जी, इंदौर में पंचबालयति में जिनवाणी विराजमान होती है, वहाँ की अनेक आपदायें | मंदिर जैसे अनेक बड़े और मध्यम शहरों में लगभग सभी स्वयं टल जाती हैं। विद्वानों के संगठन भी आज की नौजवान | तीर्थक्षेत्रों पर पुस्तक विक्रय केन्द्र हैं। छोटे शहरों में जहाँ पीढ़ी के अनुरूप साहित्य के प्रकाशन में अग्रसर हों, तो नहीं हैं वहाँ मंदिर जी में जिनवाणी समुचित मूल्य पर मिलने एक बड़ी उपलब्धि होगी। की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए। इस फीचर को पढ़कर पाठक बन्धु भी किसी के घर गये हों और वहाँ | यदि एक भी नौजवान के भाव जिनवाणी को पढ़ने और जिनवाणी न देखी हो, तो अगली बार उसके घर जायें, | उसे घर में विराजमान करने के हए, तो हम अपना श्रम तो एक जिनवाणी की पुस्तक उपहार स्वरूप अवश्य ले | सार्थक समझेंगे। जायें, आपको श्रुतभक्ति का पुण्य मिलेगा, वे भी इस उपहार अध्यक्ष, संस्कृत विभाग को पाकर प्रसन्न हो जायेंगे और कभी न कभी तो, उस श्री कुन्दकुन्द जैन पी० जी० कॉलेज, खतौली- २५१५२०१ (उ०प्र०) जैन ऐतिहासिक दस्तावेजों का प्रकाशन होगा खतौली ऐतिहासिक महत्त्व के जैन दस्तावेजों के प्रकाशन की महती और बहुप्रतीक्षित योजना 'सर्वोदय फाउण्डेशन, खतौली एवं श्रीमती दक्खाबाई जैन शैक्षणिक एवं पारमार्थिक लोक कल्याण ट्रस्ट, झांसी' द्वारा शीघ्र पूर्ण की जायेगी। शोध और अध्ययन के दौरान यह देखने में आया है कि अनेक दस्तावेजों का उल्लेख तो मिलता है, किन्तु वे प्रामाणिक रूप में उपलब्ध नहीं हो पाते। ऐसे दस्तावेज व्यक्तिविशेष के साथ नष्ट हो जाते हैं। यह भी होता है कि कोई दस्तावेज एक व्यक्ति की दृष्टि में महत्त्वपूर्ण होता है, वही दस्तावेज दूसरी पीढ़ी / व्यक्ति / विद्वान् आदि की दृष्टि में महत्त्वपूर्ण नहीं होता, फलतः या तो वह नष्ट कर दिया जाता है या किसी काल-कोठरी में पड़ा हुआ किसी अन्वेषक की राह देखता है। स्वतंत्रता संग्राम में जैनों के योगदान विषयक अनेक पत्रों की हमें आज भी तलाश है। ऐसी स्थिति में यदि आज उपलब्ध दस्तावेजों का पुनः प्रकाशन कराया जा सके, तो यह ऐतिहासिक धरोहर सुरक्षित रह सकेगी, और आवश्यकता पड़ने पर प्रमाण के रूप में काम करेगी। इसी भाव को ध्यान में रखकर यह योजना बनाई गई थी, तथा तीन-चार वर्षों से सामग्री का संकलन किया जा रहा था। सर्वोदय फाउण्डेशन के अध्यक्ष डॉ० कपूरचंद जैन एवं श्रीमती दक्खाबाई जैन शैक्षणिक एवं पारमार्थिक लोक कल्याण ट्रस्ट, झांसी के अध्यक्ष श्री सुमत कुमार जैन, सी० ए० ने सभी पाठकों/पूज्य मुनिराजों/ आर्यिका माताओं/ ब्रह्मचारियों/अन्य साधक-साधिकाओं/शोधकर्ताओं/विद्वानों/समाजसेवियों/ प्रबुद्ध श्रावकों/इतिहासविदों/ जैन संस्कृति प्रेमियों/ विद्वत् संस्थाओं/ सामाजिक संगठनों/शोध संस्थानों से विनम्र अनुरोध और करबद्ध प्रार्थना की है कि समय-समय पर जारी जैनधर्म संस्कृति अहिंसा विषयक राजाज्ञाओं/ विभिन्न न्यायालायों द्वारा दिये गये निर्णयों/समाज की पंचायतों द्वारा निपटाये गये लिखित प्रामाणिक मामलों/जैन सांस्कृतिक विरासत से सम्बन्धित दस्तावेजों / महत्त्वपूर्ण पत्रों / महत्त्वपूर्ण लेखों/ पुस्तकों की भूमिकाओं या आपकी दृष्टि से सुरक्षित रखे जाने योग्य प्रामाणिक दस्तावेजों, फोटोग्राफ्स आदि की जानकारी देकर तथा उन्हें भेजकर अनुगृहीत करें। जिन महानुभाव के सौजन्य से दस्तावेज प्राप्त होंगे उनका साभार नामोल्लेख किया जायेगा। इसमें किसी प्रकार का व्यय भी हम वहन करेंगे। विनम्र निवेदक डॉ० श्रीमती ज्योति जैन, मंत्री सर्वोदय फाउण्डेशन द्वारा सर्वोदय, जैन मण्डी, खतौली-२५१२०१ (उ.प्र.) फोन- ०१३९६-२७३३३९, ९४१२६७८२५६ ई-मेल : dijainkc@yahoo.com 28 जून 2009 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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