Book Title: Jinabhashita 2009 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 27
________________ सुख-दु:ख, अपना-पराया, अच्छाई-बुराई, मन की दौड़, जा सकती है। तन की होड़, सबका अनुभव हो गया । हे मन ! अब अपने आपको सँम्भाल । अन्तिम क्षणों में याद कर ले अपने आतम राम को । वैभाविक परणति छोड़कर आ जा स्वभाविक परणति में ।" इस तरह चिन्तन करके शान्त मन से इस फाइनल एक्जामीनेशन में उत्तीर्णता प्राप्त की हम सब आगे बस आगे बढ़ने की होड़ में लगे हैं । इस होड़ से उपजी त्रासदियाँ भी हम सबको ही झेलनी पडेंगी। जी हाँ! हम अपने प्यारे बच्चों को, जिगर के टुकड़ों को, अपने लाड़ले को आधुनिकता की चमकदमक लिये लेटेस्ट खिलौने की जो रेंज दे रहे हैं, क्या वह हमारे बच्चों को ठीक है? क्या वे उनकी सेहत पर कोई गलत असर तो नहीं डाल रहे हैं? माता-पिता व अन्य पारिवारिक - जन इस विषय पर अवश्य ध्यान दें । हमारे नौनिहालों को बीमार करते खिलौने छोटे बड़े सभी बच्चों को खिलौनों से बड़ा प्यार होता है। उनकी दुनिया ही खिलौनों में बसती है। आज का बाजार बच्चों के विभिन्न खिलौनों से अटा पड़ा है। रोज तरह-तरह के आकर्षक खिलौने देखने मे आ रहे हैं। हम सब भी बच्चों को खिलौने खरीदते रहते हैं। पर ध्यान रखें, सचेत रहें कि हम जो खिलौना खरीद रहे हैं या किसी बच्चे को गिफ्ट में दे रहे हैं, उसके कलर उसकी गुणवत्ता कहीं बच्चे को या हमारी इस पीढ़ी को बीमार तो नहीं बना रही है? पर्यावरण पर नजर रखनेवाले एक संगठन 'टॉक्सिकलिक' ने अपने शोध के आधार पर खुलासा किया है कि आकर्षक दिखनेवाले, चमक-दमक लिये ये आधुनिक खिलौने अनेक समस्याएँ पैदा कर रहे हैं। एक सर्वे के बाद संगठन ने पाया कि 'पोली विनाइल क्लोराइड यानी पी.वी.सी. या साफ्ट खिलौनों से खेल खेल में सीसा और केडमियम जैसे घातक तत्त्व बच्चों के शरीर में पहुँच रहे हैं। अक्सर छोटे बच्चे खिलौने मुँह में डालते हैं, जिससे ये रसायन शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं, यदि लम्बे समय तक शरीर में इनका असर रहे तो यकृत- कैंसर, गुर्दे में खराबी, स्मरणशक्ति में कमी तथा अनेक मानसिक रोग घर कर लेते हैं। ये लक्षण तुरंत प्रकट न भी हों, पर जब असर दिखाते हैं, तो Jain Education International यह परीक्षा कोई गृहस्थावस्था में रहकर, तो कोई सन्तअवस्था में रहकर देता है। सबका सब्जेक्ट परीक्षा में उत्तीर्ण होने जैसा ही होता है। इस प्रकार के शान्त मन अनासक्त पूर्वक चिन्तन करने से स्वतः ही समाधि मरण हो जाता है, जो इस पर्याय की सम्पूर्ण सफलता का प्रतीक है। डॉ० ज्योति जैन घातक सिद्ध होते हैं । खिलौनों को आकर्षक एवं नैचुरल बनाने में जिस तरह से सीसा, कैडमियम और अन्य घातक एवं नुकसानदेह रसायनों का इस्तेमाल होता है, वह उपभोक्ता सुरक्षा आयोग के मानकों के हिसाब से सुरक्षित नहीं है। मुश्किल तो यह है कि हमारे देश में नुकसानदेह धातुओं ( रसायनों) के इस्तेमाल को लेकर कोई सख्त मानक तय नहीं है। यह भी एक विडम्बना ही है कि आज हमारा बाजार सस्ते चीनी खिलौनों से अटा पड़ा है। सस्ते एवं आकर्षक होने के कारण लोकप्रिय भी हैं। चीन पूरे विश्व में सबसे सस्ते खिलौने का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। विश्व खिलौने बाजार में उसकी हिस्सेदारी लगभग सत्तर फीसदी है। चीन के ही गुणवत्ता अधिकारियों ने यह खुलासा किया कि सस्ते बनाने के चक्कर में अनेक कम्पनियाँ मापदण्डों पर सही नहीं हैं और औद्योगिक कचरे आदि से ये सस्ते खिलौने बनाये जा रहे हैं। इन खिलौनों के दुष्प्रभाव को देखते हुए अमेरिका के उत्पाद सुरक्षा आयोग, यूरोपीय संघ, स्पेन, डेनमार्क आदि देशों ने इन पर पाबंदी लगा दी है। हमारे यहाँ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डाक्टर अनूप सराया ने भी इन खिलौनों को स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक बताया है। हमारे यहाँ अनेक कम्पनियाँ हैं, जो छोटे बच्चों के विशेष खिलौने निकालती हैं। नये युग के नये खिलौनों की चाहत तो हर बच्चे में है ही, परंतु अभिभावक खिलौनों में भी अपना स्टेटस ढूँढ़ने लगे हैं। इसी मनोवृत्ति ने हमारे पारम्परिक और देशी खिलौनों को नुकसान पहुँचाया है। अंत में बच्चों को ऐसे खिलौने न दें, जो उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचायें । शिक्षक आवास 6, डिग्री कॉलेज कैम्पस खतौली - 251201 (उ.प्र.) जनवरी 2009 जिनभाषित 25 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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