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गए सर्वे में यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ है कि डबल इनकम । और संवर्धित किया है। राम द्वारा परित्यक्त गर्भवती सीता नो किड्स का फंडा भारत में लोकप्रिय होता जा रहा है। ने भीषण वन में असह्य कष्ट उठाते हुए लव और कुश ऐसे नवयुगल बढ़ते जा रहे हैं कि जिनके पास दोहरी आय | को जन्म दिया है। पहाड़ की गुफाओं में पड़ी असहाय के साधन तो है, पर कोई संतान नहीं है। वे ऐशो आराम | अंजना ने हनुमान को जन्म दिया है। हमारे देश की जंगल का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ऐसे नवयुगल, होटल, | में लकड़ी बीनती हुई आदिवासी महिलायें शिशु को जन्म मनोरंजन, शॉपिंग, फिटनेस सेन्टर और ब्रांडेड कपड़ों पर दे देती हैं और सिर पर लकड़ी और हाथ में शिशु को व्यय कर रहे हैं। विदेशों और देश के पर्यटन स्थलों के | लेकर अपने घर आ जाती हैं। भ्रमण पर व्यय कर रहे हैं। अनावश्यक वस्तुओं के क्रय | 9. यह सही है कि वर्तमान समय में उच्च शिक्षित पर व्यय कर रहे हैं किन्तु वे गर्भाधान और शिशु पर व्यय | एवं प्रोफेशनल नव-विवाहिताओं और माँ बनने वाली नहीं करना चाहते हैं।
महिलाओं के लिए निजी क्षेत्र में नौकरी करना कठिन होता 7. प्रत्येक नवयुगल का यह उत्तरदायित्व है कि | जा रहा है। अधिकांश कम्पनियाँ नव-विवाहित महिलाओं वह अपने सम्मिलित प्रयास से शिशु को जन्म दे। अपनी | से उनकी योग्यता एवं कार्य अनुभव के साथ ही उनसे कोख से शिशु को जन्म देना प्रत्येक महिला का परम कर्त्तव्य | मातत्व विवरण प्राप्त करती हैं। आवश्यक योग्यता एवं है। अपने शिशु का पालन-पोषण करना प्रत्येक माता का | कार्य अनुभव होते हुए भी विवाहित, गर्भवती महिलाओं धर्म है। प्रत्येक महिला अपने विवाह के साथ प्राकृतिक | एवं छोटे शिशुओं की माताओं की तुलना में निजी क्षेत्र रूप से ही भावी मातृत्व के सपनों में खो जाती है। गर्भधारण | की अधिकांश कम्पनियाँ अविवाहित महिलाओं को करते ही अपने ममत्व और वात्सल्य से अपने गर्भस्थ शिशु | प्राथमिकता दे रही हैं। को अभिसिंचित करती है। शिशु को जन्म देकर अत्यधिक 10. यह उपयुक्त प्रतीत होता है कि निजी क्षेत्र की प्रसन्न होती है। यदि नारी स्वयं को किसी भी कारण से | कम्पनियाँ गर्भवती महिलाओं एवं छोटे-छोटे शिशुओं की ऐसे मातृत्व सुख से वंचित करती है तो यह निश्चित है | माताओं को घर बैठे काम दें। पार्ट-टाइम जाब दें। उन्हें कि वह अपनी कोख के खालीपन को आमंत्रित करती | सीमित और निश्चित काल के लिए नियुक्त करें। टाइम है। अपने भावी जीवन में अपनी खाली कोख पर वह | बाउंड जाब की अपेक्षा उन्हें अपनी सुविधानुसार पूर्व निश्चित ही आँसू बहाती रहेगी। उसके आंचल का दूध | निर्धारित घण्टों के लिए प्रोजेक्ट आधारित कार्य दें। यह सूख जावेगा। नारी की मातृत्व की संवेदनाएँ समाप्त हो | भी उपयुक्त प्रतीत होता है कि हमारे उच्च शिक्षित नवयुगल जावेंगी। वह प्राकृतिक जीवन-चक्र को ध्वस्त कर देगी। अपने प्रोफेशनल उत्तरदायित्व एवं अपने पारिवारिक/
8. प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ वरदान मातृत्व सुख केवल | सामाजिक उत्तरदायित्त्वों के बीच आदर्श ढंग से समन्वय नारी को ही प्राप्त है। भारतीय संस्कृति नारी को सदैव एवं संतुलन स्थापित करें। भारतीय संस्कारों का संरक्षण/ मातृत्व की गरिमा से अभिमण्डित करती रही है। भारतीय | संबर्द्धन करते हुए सांस्कृतिक विकास में अपना अनुपम नारी ने असाधारण विपरीत परिस्थितियों में भी मातृत्व के | योगदान प्रदान करें। गंभीर उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए शिशु को संरक्षित
30, निशात कॉलोनी, भोपाल
जहाँ तक हो सके हम पर सितम ढाते चले जाओ, समन्दर में हमें तूफाँ से धबराना नहीं आता।
सरवत नवाज लखनवी किनारों से मुझे अय नाखुदा तुम दूर ही रखना, वहाँ लेकर चलो, तूफाँ जहाँ से उठनेवाला है।
नरेशकुमार 'शाद'
22 अप्रैल 2008 जिनभाषित -
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