Book Title: Jinabhashita 2008 04
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 33
________________ अखिल भारतीय जैनविद्वत्सम्मेलन : एक सुखद समागम डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन 'भारती' । श्री १००८ श्री मज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, पंच गजरथ महोत्सव एवं विश्वशांति महायज्ञ के शुभावसर पर दिनाङ्क १७ फरवरी २००८ को ज्ञान कल्याणक दिवस के शुभावसर पर संतशिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज (ससंघ) के शुभाशीर्वाद एवं सान्निध्य में मुनिश्री अजितसागरजी महाराज एवं क्षुल्लक श्री विवेकानन्दसागरजी महाराज की मंगल प्रेरणा से पंचकल्याणक महोत्सव स्थल श्री राधाकृष्णरम्, कालाबाग, गंजबासौदा ( विदिशा) म.प्र. में, धर्म दिवाकर, काव्य मर्मज्ञ पं. लालचन्द्र जैन 'राकेश' के संयोजकत्व तथा डॉ. पी.सी. जैन एवं डॉ. आराधना जैन, गंजबासौदा (म.प्र.) के सहसंयोजकत्व तथा मेरे (डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन 'भारती') के निर्देशन एवं संचालकत्व में अखिल भारतीय जैन विद्वत्सम्मेलन प्रासंगिक विचारों से ओतप्रोत तीर्थसंरक्षण एवं पंचकल्याणक प्रतिष्ठा जैसे महत्त्वपूर्ण विषय पर अतिशय प्रभावनापूर्वक संपन्न हुआ । इस विद्वत्सम्मेलन में आचार्यश्री के ससंघ सान्निध्य में दो सत्र सम्पन्न हुए। जिनकी अध्यक्षता क्रमशः भाषाविद् डॉ. वृषभप्रसाद जैन, लखनऊ एवं डॉ. शीतलचन्द्र जैन (अध्यक्ष- अ. भा. दि. जैन विद्वत्परिषद्) जयपुर ने की। ग्रंथ विमोचन अखिल भारतीय जैनविद्वत्सम्मेलन के मध्य अ. भा.दि. जैन विद्वत्परिषद् के द्वारा प्रकाशित आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा संस्कृत भाषा में रचित एवं हिन्दी पद्यानुवाद युक्त काव्य 'चैतन्य चन्द्रोदय' के द्वितीय संस्करण का विमोचन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किया तथा कृति का परिचय डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती' ने दिया। इसी श्रृंखला में 'आचार्य गुणभद्र कृत आत्मानुशासन' ग्रंथ पर आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा रचित 'गुणोदय' (पद्यानुवाद) पर आर्यिका श्री मृदुमति माता जी द्वारा लिखित 'अन्वयार्थ व भद्रार्थ', बालब्रह्मचारिणी पुष्पा दीदी द्वारा संयोजित ग्रंथ 'आत्मानुशासन' का विमोचन रहली समाज द्वारा किया गया। ग्रंथ का परिचय पं. शिवचरणलाल जैन मैनपुरी ने दिया । तृतीय कृति मुनि श्री अजितसागरजी महाराज द्वारा आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के सुभाषितों के संग्रहग्रंथ 'विद्या- वाणी' का Jain Education International विमोचन किया गया। कृति का परिचय डॉ. कपूरचन्द्र जैन, खतौली ने दिया। संस्कार सागर एवं पार्श्व - ज्योति (मासिक) के नवीन अङ्को का विमोचन किया गया। इनका परिचय पं. विनोद जैन, रजवांस ने दिया। बैलगाड़ी उपहार योजना की घोषणा अ.भा. जैन विद्वत्सम्मेलन में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा अपने प्रवचन में यह कहे जाने पर कि आपकी सरकार ने गौवंश की हत्या पर प्रतिबंध लगाया है जो सराहनीय है लेकिन गाय तो दूध देने के कारण लोग पाल रहे हैं किन्तु खेती के कार्य में ट्रेक्टर आदि के आ जाने के कारण बैलों की उपेक्षा हो रही है अतः उन्हें बूचड़खाने भेजा जा रहा है। ऐसे समय में जरूरी है कि बैलों के संरक्षण पर ध्यान दिया जाए और कृषि उपज मंडियों में बैलगाड़ियों को चलवाने की व्यवस्था की जाए तथा सामाजिक संगठन एवं सरकार इसमें सहयोग करें। इस विचार को सुनते मुख्यमंत्री ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए कहा कि मैं आचार्यश्री के विचारों से प्रेरित होकर यह घोषणा करता हूँ कि जो भी किसान या हम्माल मंडी में बैलगाड़ी चलायेगा, उसके लिए म.प्र. शासन की ओर से बैलगाड़ी का आधा लागत व्यय दिया जायेगा । अपार जनसमूह ने करतल ध्वनि से इसका समर्थन किया। मुख्यमंत्री की मांग अ.भा. जैन विद्वत्सम्मेलन में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के चरणों में सपत्नीक श्रीफल अर्पित कर चरण वंदना की और आचार्यश्री से मुखातिब होकर जनसमूह के मध्य कहा कि- आचार्य श्री जब मैंने सर्वप्रथम आपके नेमावर में दर्शन किये थे तो आपसे आशीर्वाद मांगा था कि मुझे १. सद्बुद्धि देना क्योंकि राजनीति की रपटीली राह में कोई भी भटक सकता है । २. सन्मार्ग देना क्योंकि जिसे उचित रास्ते का ज्ञान नहीं वह आगे कैसे बढ़ेगा और आज मैं इस विद्वत्सम्मेलन के मध्य आपसे विनम्र प्रार्थना कर रहा हूँ कि मुझे । ३. सामर्थ्य देना क्योंकि यदि सामर्थ्य नहीं रही तो मैं और मेरी सरकार हिंसा एवं अन्याय का मुकाबला और अहिंसा और न्याय की प्रतिष्ठा कैसे कर सकेगी? अप्रैल 2008 जिनभाषित 31 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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