Book Title: Jinabhashita 2008 04
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 35
________________ पूण्य कमाओ तीर्थबचाओ भावसहित बंदे जो कोई, ताहि नरक पशु गति नहिं होई। वंदना से पूर्व तीर्थ सुरक्षा का एक संकल्प पर्वतराज श्री सम्मेद शिखर एवं अन्य तीर्थ पर्वतों पर मैं किसी भी प्रकार की खाद्य व पेय सामग्री नहीं खरीदूंगा। ___ क्योंकि, सामग्रियाँ बेचनेवाले पर्वतों पर अपने स्थायी निवास बनाने लगे हैं, जिससे सभी तीर्थक्षेत्र गिरनार जी की तरह असुरक्षित हो जायेंगे। तीर्थ हमारे प्राण हैं इनकी सुरक्षा हमारा कर्त्तव्य व धर्म है निवेदक : श्री शान्तिनाथ प्रकाशन समिति, 18, खरीफाटक विदिशा सौजन्य : श्रीमती स्नेहलता जैन, धर्मपत्नि-स्व. गुलाबचन्द्र जैन (उत्सव टेंट हाउस) विदिशा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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