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शांत या ध्यानावस्था में देखा है, आज बड़े बाबा की सेवा में बलात्कार का राजनीतिकरण रत थे, व्यवस्था बना रहे थे। वे नहीं चाहते थे कि ऐसे समय | बडे बाबा के इस पवित्रकाज में एक अपवित्र घिनौना कोई फोटोग्राफी वहाँ करे। लेकिन कैमरा किसने लिया, | दोष लगा, निर्दोष 12 वर्षीय काछी समाज की मासूम बच्ची किसके पास है, कुछ पता नहीं चला। आजम खान को पूछने | के निर्मम बलात्कार से। कितने बजे हुआ, किसने किया, पर वह सामने आया, वह मंदिर की अनिर्मित दीवार पर | पुलिस आज तक अपराधियों को पकड़ नहीं पाई। कुछ का ऊपर खड़ा था। मैंने उससे केवल यही पूछा आजम तुम | कहना है कि बलात्कार कुण्डलपुर ग्राम में हुआ। अन्य सुरक्षित हो न ? उसने कहा हां मैं सुरक्षित हूँ। किन्तु मामला | लोगों का आरोप है कुण्डलपुर पहाड़ी पर हुआ। प्रमाणों के संवेदनशील था। आजम खान की उपस्थिति के वहाँ कुछ | अभाव में अभी भी पुलिस निर्णय पर नहीं पहुंची थी।
और ही अर्थ थे। मैंने उससे चिंचित स्वरों में कहा आजम | कतिपय तत्त्व सक्रिय हो गये थे। जाने कब-कब का छुपा तुम्हें यहाँ नहीं आना था। उसने कहा 'भाभीजी मुझे मेरा | बैरी जातिगत विद्वेष फूटकर बाहर आने लगा। पुरानी शिकायतों कैमरा दिलवा दीजिए।' मैंने कहा, 'मुझे पता नहीं किसने | / शिकवों की आड़ में परोक्ष रूप से श्री जयंत मलैया के लिया, किसके पास है, पर पता लगाकर बताऊँगी।' उसे | विरुद्ध और अपरोक्षरूप से जैन समाज के खिलाफ भी साधुओं के पीछे बैठा दिया गया, जब तक कि कार्यक्रम | आरोप लगे कि जैन युवकों ने किया। प्रश्न यह नहीं रहा कि सम्पन्न न हो जाये। बात आई-गई हो गई। उस दिन मेरी | जो भी बलात्कारी है उसे पकड़कर सजा दी जाये। चाहे वह चिंता के विषय कुछ और थे कि रैपिड एक्शन फोर्स पहाड़ | किसी भी समाज वर्ग का हो। ग्रामीण या शहरी, स्थानीय या पर कब्जा कर सकती थी, कुछ मार-पिटाई न हो जाए। बाहरी, युवक या वृद्ध, अमीर या गरीब, नेतापुत्र या यद्यपि बाद में न पुलिस आई, ने रैपिड एक्शन फोर्स, न जाने | मजदूरपुत्र, कोई मेरा निकट स्वजन भी हो तो उसे भी मिले कौन प्रेरणा दे सबके मन में बैठा काम करा रहा था। कठोरतम सजा। क्योंकि इस भर्त्सनीय कृत्य की जितनी भी
संध्या हो चुकी थी, मैं रात्रि में दमोह लौट आयी। 18 | निंदा की जाये थोड़ी है। सबने निंदा की भी, जैन अजैन जनवरी की सुबह को किसी ने फोन पर सूचना दी कि | समाज, सभी का एक ही रुख रहा। किन्तु सेंकनेवालों ने राष्ट्रीय सहारा चैनल पर आपके विषय में पट्टी चल रही है। राजनैतिक रोटियाँ सेंकनी शुरू कर दीं, दमोह जिले में महीने कि मंत्री पत्नी ने कैमरा छीना। मेरे लिए यह आश्चर्य और | भर के भीतर उनने इतने बंद करवा दिये, जो जिंदगी भर न पीड़ा का विषय था। सस्ता प्रचार पाने के लिए मीडिया | करवा सके थे, वह अब कर दिखाया। यह सक्रियता जिनकी कितना शरारती हो सकता है! वह चाहे तो दंगे करवा सकता | भी है, इतनी ही अपने उद्देश्य में शुभ होती, तो आगे भी वे है, चरित्र हनन कर सकता है। मंत्रीपत्नी का नाम लेने से ही | जिले में किसी भी बलात्कार को लेकर इतनी ही सक्रियता तो उसकी न्यूज चटपटी और सनसनीखेज बनती थी। बड़े | व चिंता दर्शाते, पर यहाँ तो दुर्भावना थी। वह समय दूर नहीं बाबा की मूर्ति विस्थापन के बारे में भी भ्रामक, तथ्यों को | जब दूध और पानी का पानी हो जायेगा। अपराधी निश्चित तोड़-मरोड़कर जानकारी दी गई। कुछ हुआ नहीं था, लेकिन कटघरे में होंगे। पर्याप्त झूठ प्रचारित किया गया। यहाँ तक कि | अम्बिका मठ व हनुमान मंदिर का सत्य आश्चर्यजनकरूप से आजम खान ने पटेरा थाने में 27 तारीख | कुछ पत्रकारों ने जान-बूझकर आग भड़काई थी, को मेरे खिलाफ कैमरा लूट प्रकरण में एफ.आई.आर. भी अफवाहों का बाजार गर्म किया था। जैन-हिंदू समाज में दर्ज कराई, यह स्वीकार करते हुए कि सुधा मलैया ने कहा | | खाई पड़ जाये, यही एकमात्र उद्देश्य था। कहा गया, था उसे कैमरा दिलवा दूंगी। विडम्बना यह थी कि 24 | | अम्बिका मठ तोड़ दिया गया। हनुमान जी की मंदिर खंडित तारीख को कैमरा की थाने के जब्ती थी, जिसे किसी ने वहाँ कर दिया गया आदि-आदि। दमोह शहर के हर समाज को जमा करवाया था। कानून का इससे बड़ा मखौल क्या था ? | सप्रयास उकसाया गया। भावनाओं को भड़काया गया, यहाँ सद्भावनापूर्वक किये गये व्यवहार का उसने कैसा सिला तक कि हिन्दुत्व के प्रबल समर्थक भी भ्रम में आ गये। दिया था। वह प्रशासन के कुछ जिम्मेदार लोगों के हाथ में अपने सम्पूर्ण राजनैतिक कार्यकाल में मेरा यह पहला अनुभव खेल रहा था, किन्तु साँच को आँच कहाँ ? .
था, जब मैंने जातिगत विद्वेष के जहर को इस प्रकार अच्छेअपवित्र घिनौना, 12 वर्षीय बच्ची के दुर्भाग्यपूर्ण अच्छों की मति पलटाते देखा। मुझे गहरी पीड़ा हुई। शत्रु
18 अगस्त 2006 जिनभाषित
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