Book Title: Jinabhashita 2006 08
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 33
________________ समाचार प्रसिद्ध शाकाहार विशेषज्ञ डा. चिरोंजी लाल बगड़ा | स्थानों में धार्मिक शिक्षण शिविर सम्पन्न हुए। इन धार्मिक अहिंसारत्न उपाधि से अलंकृत शिविरों में तत्त्वार्थ सूत्र, द्रव्यसंग्रह, रत्नकरण्डक श्रावकाचार, कोलकाता। दिगम्बर जैन समाज के विशिष्ट कार्यकर्ता इष्टोपदेश, भक्तामर स्तोत्र, सामायिक पाठ समयसार, छहढाला, शाकाहार, अहिंसा एवं जीवदया क्षेत्र के सुप्रसिद्ध विशेषज्ञ | जैन धर्म शिक्षा भाग-1 व 2,जिज्ञासा समाधान एवं करणानुयोग डा. चिरोंजीलाल बगडा को भगवान पार्श्वनाथ निर्वाण भाग-1 का अध्ययन कराया गया। महोत्सव समिति के तत्वाधान में उनके द्वारा किए गये ___योग एवं वास्तु का प्रशिक्षण पं. फूलचन्द जैन योगाचार्य, अभूतपूर्व सेवाकार्यों हेतु विशाल जनसमुदाय के समक्ष श्री छतरपुर एवं पं. भरत जैनदर्शनाचार्य, रजवांस द्वारा दिया पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन उपवन मंदिर बेलगछिया में आयोजित | गया। शिविरों में लगभग 8000 शिविरार्थियों ने लाभ लिया। एक विशेष समारोह में 'अहिंसारत्न' उपाधि से सम्मानित पुलक गोयल, सांगानेर किया गया। देश विदेश में धर्म प्रचार गौरव के क्षण श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर के श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर के | अध्यापक श्री सौरभ कुमार जैन दशलक्षण पर्व के शुभ चार शिक्षक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली अवसर पर धर्म प्रचारार्थ कनाडा जा रहे हैं तथा श्री राकेश द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में अपनी अद्वितीय कमार जैन कबैत जा रहे हैं। संस्थान परिवार ने प्रतिवर्ष की प्रतिभा का परिचय देते हए प्रथम प्रयास में ही चयनित हो भाँति इस वर्ष भी लगभग 125 स्थानों पर विद्वान भेजने का गए हैं। श्री सौरभ कुमार जैन, श्री आशीष कमार जैन, श्री | निर्णय किया है। अनंत बल्ले ने जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन, बौद्ध दर्शन एवं गांधी दर्शन से तथा श्री पुलक गोयल ने प्राकृत विषय से यह पात्रता सूचना प्राप्त की। संस्थान के 9 स्नातक छात्रों ने शिक्षा शास्त्री में श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान के एक प्रवेश प्राप्त किया है। विनीत जैन भोपाल से, राकेश जैन एवं | विद्वान् स्वामी कुमार विरचित कार्तिकेयानुप्रेक्षा का एवं उस प्रशांत जैन रायपुर से, उमेश जैन, राजेश जैन, आशीष जैन पर लिखी गयी आचार्य शुभचन्द्र जी का संस्कृत टीका का एवं आलोक जैन श्रृंगेरी से तथा विनोद बेलोकर एवं प्रतीष | शब्दशः हिन्दी अनुवाद करना चाहते हैं। यदि इस कार्य को काले पना से शिक्षा शास्त्री का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। पहले किसी के द्वारा सम्पन्न किया गया हो अथवा वर्तमान शैक्षणिक क्षेत्र में बढ़ते हुए संस्थान के स्नातक छात्रों की / में इस पर कोई कार्य कर रहे हो कृपया निम्नलिखित पते पर प्रगति को देखकर संस्थान परिवार गौरवान्वित है। सूचित कर अनुगृहीत करें। अधिष्ठाता श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान ग्रीष्म कालीन शिविर में महती धर्म प्रभावना वीरोदय नगर, सांगानेर, जयपुर (राज.) श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, सांगानेर की फोन. 0141-2730552 ओर से इस वर्ष भी ग्रीष्मकालीन अवकाश में प्राचार्य डॉ. शीतलचन्द जैन के सफल निर्देशन तथा पं. रतनलाल बैनाड़ा प्राकृत में प्रथम लघु शोध प्रबन्ध के मार्गदर्शन में बारामती, कोपरगांव, बेलगांव, किशनगढ़, दि. जैन श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर में अध्यापन उदयपुर, बीना, फलटण, लोहारिया, पूना, हुपरी, रेवाड़ी, | करा रहे पं. पुलक गोयल प्राकृताचार्य ने प्राकृत भाषा में कोथली, करकंब, धूलिया, पट्टन कोडोली, औरंगाबाद, | लघुशोध प्रबन्ध लिखकर प्राकृत को पुनः जीवन्त करने का करमाला, पैठण, पंढरपुर, कुर्ल्डवाडी, दहिगांव, भिगवण, | प्रयास किया है। “पाइय गंथेसु गुणट्ठाणं : अज्झयणं' शीर्षक सतारा, कन्नड़, मोडनिंब, हारूली, वार्शी एवं जयपुर के विभिन्न | से यह लघशोध प्रबन्ध श्री दिगम्बर जैन आचार्य महाविद्यालय अगस्त 2006 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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