Book Title: Jinabhashita 2006 08
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 19
________________ बनाया और जो भीड़ इतनी देर से एकत्र थी वह छटने लगी। | से निवेदन किया और पहाड़ खाली करवाने को कहा। तभी उनमें कुछ शरारती तत्वों ने - जो यह चाहते थे | उन्होंने कहा जो निर्णय उचित लगे वो करो। वातावरण में कि किसी न किसी प्रकार से कोई अप्रिय स्थिति बने - | बहुत तनाव है। एक्सप्रेस न्यूज के सम्पादक श्री सनत जैन किसी के उकसावे पर 'बजरंग बली की जय', 'महादेव की | भी भोपाल से पधारे हुए थे। उन्होंने काफी सक्रियतापूर्वक जय' करना वहाँ शुरू कर दिया। इस जयकारे ने आज तक | समाज व प्रशासन के बीच संवाद करके संतुलन बनाये कभी जैन और हिन्दुओं में कोई प्रतिक्रिया पैदा नहीं की थी। | रखा। प्रमुख सचिव से बातचीत करवाई। उन्होंने कमिश्नर किंतु आज उसके अर्थ कुछ और थे। थोड़ी देर और यह | को गिरफ्तारियाँ करने के लिए कहा। कमिश्नर का फोन होता, तो स्थिति बिगड़ सकती थी। पुलिस व जैन युवकों के नहीं लग रहा था। मैं नीचे चली आयी और प्रमुख सचिव सहयोग से शीघ्रतापूर्वक ग्रामीणों को वहाँ से निकाला गया। | का संदेश उन्हें दिया। उन्होंने यह कहते हुए कि इन्होंने कोई मैं अभी तक नीचे क्षेत्र के बाहर नाकेबंदी के स्थान | अपराध नहीं किया है, किस बात के लिये गिरफ्तार करूँ? पर ही थी, पुलिस व अधिकारियों के साथ। तभी कमिश्नर | शांतिपूर्वक बैठे हैं, गिरफ्तारियाँ करने से इंकार कर दिया। ने निवेदन किया कि आप पहाड़ पर जा सकें, तो आचार्य श्री | लगभग 2.30 बजे तक सूचना आई कि मूर्ति पुराने मंदिर से के चरणों में निवेदन कर हमारी मुलाकात करवा दें। वे एक | निकाल ली गई है। साधु संत अभी भी नीचे बैठे थे। 4-5 बार जरूर जाकर शासन की मंशा और मुख्यमंत्री का संदेश बजे के लगभग यह संदेश आया कि सब नीचे से हट जायें, उन्हें बताना चाहेंगे। मैंने कहा, ठीक है किंतु मैं ऊपर नहीं | पुलिस को ऊपर आने दें। साधु संत और श्रद्धालु सभी जाना चाहती। उन्होंने कहा, 'आप जाइये और हम अभी | पहाड की ओर दौड पडे। अधिकारियों से भी ऊपर जाने इसलिए नहीं चलेंगे, क्योकि कहीं रास्ते में किसी ने कुछ | को कहा गया, किन्तु अब वे जाने को तैयार नहीं थे। एस.पी. कर दिया, तो स्थिति नाजुक हो जायेगी। मुझे भी बात समझ | ने स्पष्ट मना कर दिया कि अभी समाज उत्तेजित है, इसलिए में आयी। मैं सायं 5.30 के लगभग पहाड़ पर गई।' आचार्य | मैं अनुरोध करूँगा कि आई. जी., कमिश्नर भी ऊपर न श्री ध्यान में थे। ध्यान के पश्चात् मैंने व वीरेश ने उनसे जाएँ, कल शांति से आचार्य श्री से मिल लेंगे। वे नहीं गए। निवेदन किया, उन्होंने कहा ठीक है, ज्ञान साधना केन्द्र में मैं | ऊपर बड़े बाबा अपने नवीन आसन पर विराजमान हो चुके उनसे मिलने के लिए तैयार हूँ, पर जैसे ही मैंने नीचे संदेश | थे। छोटे बाबा का बड़ा काज सम्पन्न हो चुका था, लगभग भिजवाया, अधिकारियों का मन बदल गया और अगले दिन | निर्विघ्न, किन्तु दो छोटे दोषसहित। एक हुआ पत्रकार आजम सुबह जाने को कहा, अभी जाना ठीक नहीं है। उन्होंने खान का कैमरा छीने जाने का प्रकरण, जिसमें उसने मेरा पुलिस बल लौटा देने का भी निर्णय लिया, पुलिस बसें नाम अकारण उलझाया और दूसरा 12 वर्षीय बच्ची की लौटने लगी और पटेरा थाने आकर रुक गईं, कुछ दमोह | कुण्डलपुर ग्राम में बलात्कार की घटना, जिससे स्वार्थी गईं, आई.जी., कमिश्नर, कलेक्टर आदि पटेरा रेस्ट हाउस | | तत्त्वों ने राजनीतिक रोटियां सेंकी। पहुँच गये, मैं भी सात-आठ बजे तक दमोह लौट आई। | मंत्रीपत्नी ने कैमरा नहीं छीना, पत्रकार की जान बचायी मलैया जी सायं 6 बजे भोपाल से हैलीकाप्टर द्वारा दमोह सायं 6-7 बजे मैं ऊपर बड़े बाबा के पास पहुँचने के पहुँच गये थे, किन्तु आई.जी. कमिश्नर से बातचीत के बाद | लिए भीड़ के रेले में ही थी कि किसी ने मुझसे कहा कि उन्हें कुंडलपुर जाने की आवश्यकता नहीं लगी। राष्ट्रीय सहारा का प्रतिनिधि आजम खान फोटोग्राफी कर 17 जनवरी को सुबह मलैया जी वापस भोपाल चले | रहा है। जैन युवक उत्तेजित थे। अब वे उसे सबक सिखाने गये। 10 बजे उनका भोपाल से फोन आया, 'सबसे कहो, | के मूड में थे। शहर में वह पहले भी नादानियाँ कर चुका था, पहाड़ खाली कर दें।' रेपिड एक्शन फोर्स की दो बटालियनें | आज अवसर था। मैंने उन्हें तत्काल डाँटा और रोका। मुझे जबलपुर से निकल गई हैं। मैं 11 बजे के लगभग पुनः | अत्यधिक चिंता हुई। मैं नहीं चाहती थी कि अकारण विवाद कुण्डलपुर पहुँची। नीचे सूचना मिली कि बड़े बाबा की | की स्थिति बने कि पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार हो। मैं किसी मूर्ति निकालने का कार्य चल रहा है। मैं जैसे ही पहुँची, | तरह वेदी के पास पहुँची ही थी। किसी ने बताया उसका आई. जी. और कमिश्नर ने फिर आचार्यश्री से मिलने का | कैमरा किसी ने ले लिया है। पछने पर पता चला कि अभी आग्रह किया। मैं पुनः पहाड़ पर गई। वहाँ जाकर मैंने आचार्यश्री | | तक जैन साध, साध्वियाँ, सामान्यतः जिनको लोगों ने केवल अगस्त 2006 जिनभाषित 17 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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