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की।
अब स्थिति सामान्य है, समाज ने भी पहचान कर ली कि सत्य 5. यहाँ जो निर्माण कार्य हुआ है वह प्राचीन शैली का | क्या है ? असत्य क्या है? अनुसरण करके हुआ है जिससे मंदिर की भव्यता में चार चांद लगे हैं, इससे दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ी है।
श्री निर्मल कासलीवाल, 6. विरोध स्वर जरा सोचे यदि किसी ऐसे स्मारक जो मानद मंत्री, प्रबन्ध कारिणी कमेटी, अति प्राचीन है, उनका जीर्णोद्धार न किया जाये तो उसका अस्तित्व श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर संघीजी, सांगानेर कब तक? जीर्णोद्धार से संस्कृति और सभ्यता की रक्षा हुई है, जैन मंदिर रोड, सांगानेर (जयपुर) वरना समय के बहाव में यह मंदिर भी गुम हो जाता।
विषय - श्री दिगम्बर जैन मंदिर संघीजी, सांगानेर शिखर 7. पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने भी यहाँ के कार्यों | जीर्णोद्धार/मरम्मत की अनुमति । का अवलोकन किया तो उन्होंने मुक्त कंठ से जीर्णोद्धार की प्रशंसा प्रसंग -आपका पत्रांक जे.एस.एस. /2427 दिनांक
1.1.2001 8. फिर किन कारणों से विरोध स्वर 'जीर्णोद्धार को विरासत महोदय, से छेड़छाड़' कह रहा है? ईर्ष्यावश क्या ?
उपरोक्त प्रसंगोक्त पत्र के सन्दर्भ में श्री दिगम्बर जन संघीजी 9. विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में जो लेख आये वह अपूर्ण | मंदिर में जीर्णोद्धार / संरक्षण /मरम्मत कार्य पुरातत्व शैली /मूल जानकारी और राजनीति पहुंच, प्रभाव के कारण अनर्गल आये स्वरूप को बनाये रखते हुए कराये जाने में विभाग को कोई जिससे समाज भ्रमित हुई है, बदनाम हुई है।
आपत्ति नहीं है। 10. जब विरोध का स्वर मुखरित हुआ निसंदेह जीर्णोद्धार आवश्यकतानुसार आप मण्डलीय अधीक्षक, पुरातत्व एवं में रूकावट आई। लेकिन प्रशासन, पुरातत्व, जांचदल आदि ने | संग्रहालय विभाग, जयपुर वृत, जयपुर से राय प्राप्त कर सकते हैं। जीर्णोद्धार को कतई गलत नहीं ठहराया। कार्यालय निदेशक पुरातत्व
भवदीय एवं संग्रहालय विभाग के पत्र क्रमांक 6228 दिनांक 26.4.2003
हस्ताक्षर के द्वारा जीर्णोद्धार की लिखित सहमति दी।
निदेशक उक्त पत्र क्रमांक 6 पर संलग्न है। 11. किसी ने सच ही कहा है कि क्रान्ति के बिना परिवर्तन सांगानेर संघीजी के मंदिर के दर्शनों का मुझे आज सौभाग्य नहीं, अत: विरोध स्वर से जीर्णोद्धार को बल ही मिला है। प्राप्त हुआ। मूलनायक भगवान् आदिनाथ की प्रतिमा के दर्शन
यह विरोधी स्वर एक अपराधिक किस्म के एवं अजैन | करके मुझे बड़ी शांति मिली। मंदिर की प्राचीनता भी हृदय को व्यक्ति गुलाबचन्द शर्मा से, जो कि पुलिस उपनिरीक्षक पद से | प्रभावित करने वाली है। मंदिर में काफी काम हुआ है, मुझे यह डिसमिस और अपनी अपराधिक प्रवृत्तियों के लिये मशहूर है, | नहीं ज्ञात होता कि प्राचीनता का कोई विनाश या विध्वंस हुआ है। ऐसे व्यक्ति से सहयोग लेकर तथा गैर पंजीकृत संस्था शिवा जन | यहाँ पर दर्शनार्थियों की संख्या निरन्तर बढ़ती रही है। व्यवस्था समस्या निवारण समिति के माध्यम से न्यायालय में जीर्णोद्धार के | भी अच्छी है । दर्शनों का लाभ पाकर जीवन में सभी को सुख व विरोध में जनहित याचिका लगाकर विघ्न डालने का कुप्रयास शांति मिलती है। जीवन सफल होता है। किया है। जो कि इस अल्पसंख्यक जैन समाज के लिये बहुत ही
हस्ताक्षर
लोकायुक्त राजस्थान गम्भीर और सोचनीय विषय है कि इसके आगामी परिणाम कितने भयानक हो सकते हैं।
आज दिनांक 4.6.2003 को श्री दिगम्बर जैन अतिशय हमारा विरोध स्वर करने वालों से कोई द्वेष नहीं है।।
क्षेत्र मंदिर संघीजी सांगानेर में विराजित प्रतिमा के दर्शन कर उनकी महत्वकांक्षा की आपूर्ति न होने पर ये स्वर उद्घोषित हुआ |
आत्म शांति मिली । भगवान् आदिनाथ के दर्शन कर अभिभृत हुई इससे समाज को असहनीय हानि उठानी पड़ी, समाज भ्रमित हुई।
| हूँ। और इस अवसर पर दर्शन कर यही कामना करती हूँ कि विश्व
26 अगस्त 2003 जिनभाषित
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