________________
निदेशक,
गुमटियों से ऊंचाई में अधिक है। सारे मंदिर में जहाँ-जहाँ भी नया पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग,
निर्माण कराया हुआ है उसमें लाल पत्थर का है उसको पके रंग से राजस्थान, जयपुर।
पोता हुआ है। विषय : श्री दिगम्बर जैन मंदिर संघीजी सांगानेर शिखर उक्त स्थिति विभाग से राय लेने से पहले की है। अब आगे व अन्य के जीर्णोद्धार / मरम्मत की अनुमति।
कराये जाने वाले कार्यों में मंदिर ट्रस्ट से कार्य कराने के सुझाव महोदय,
निम्न प्रकार हैं, जिनका मौके पर विचार-विमर्श किया गयाश्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर श्री संघीजी सांगानेर 1. ट्रस्ट द्वारा चौक में पत्थरों को (कोटास्टोन) हटाकर विभागीय राय से पूर्व निर्माण की स्थिति इस प्रकार है :- नया आंगन कराने की इच्छा जाहिर की है। अतः उन्हें अडंगा
मंदिर पर प्रवेशद्वार के जगती भाग पर से ऊपर तक आदिनाथ | मार्बल के पत्थर पूर्व परम्परानुसार कम से कम तीन इंच (चार के जीवन चित्रण लाल पत्थर में उत्कीर्ण नया कराया जाकर प्लेटे | अंगुल) मोटाई में विभिन्न साईजों में पुराने तरीके से लगवाने के मय लेख पट्टिकाएँ (देवनागरी लिपि) में सीमेंट से चिपकाकर लिए सुझाव दिया गया है। जिस पर उन्होंने सहमति प्रकट की है। निर्माण किया गया है। यह कार्य प्रवेशद्वार के बाई तरफ करवा | इस कार्य से मंदिर के पुराने कार्य के स्वरूप से मेल बना रहेगा। रखा है दूसरी तरफ की दीवार को भी इस कार्य के लिए तैयार 2. सभी पत्थर जो लाल हैं उनका लाल रंग व सफेदी किया जा रहा है। मंदिर के प्रवेशद्वार पर अडंगा पत्थर (| हटाया जाकर मूल स्वरूप बनाया जाये । मूल स्वरूप हेतु सहमति मार्बल) से उत्कीर्ण चौखट द्वारा बना हुआ है जो पुराना यथावत | प्रकट की गई। है। अन्दर चौक में प्रवेश करने पर बाईं तरफ सीढ़ियाँ लाल पत्थर 3. मंदिर के अन्दर के मार्ग में काले पत्थर वाले भागों पर के कटहरे की कटिंग के साथ नई बनाकर ऊपर जाने का रास्ता | पूर्वानुसार आराइशी कार्य कराया जाना पूर्वानुसार की सहमति बनाया गया है।
प्रकट की गई है। इससे मूलस्वरूप यथावत रहेगा। देवकुलिकाओं ___दाहिनी तरफ एक ग्रेनाइट लगाकर ग्लास फिट करके | में बनी चिप्स सफेदी सीमेन्ट हटा दी जायेगी। काउन्टर बनाया गया है। चौक में जैन प्रतिमाएँ (चौबीसी) विभिन्न | 4. मुख्य परिसर का बड़ा किवाड़ व मंदिर के सभी किवाड़ ताकों में एल्यूमीनियम धातु के फ्रेमों में कांच के ग्लासयुक्त किवाड लकड़ी-पीतल के काम के (मुगली जोड़ियों) में बनवाया जाय लगाये हुए हैं। चौक में आंगन में कोटा स्टोन लगा हुआ है। मंदिर | तथा वर्तमान एल्यूमीनियम का ज्यादा बढ़ावा नहीं देंगे। चूंकि के मुख्य भाग चौक के बीच में मंदिर का मूल ढांचा है। पूर्वानुसार | एल्यूमीनियम धातु पूजा में वर्जित है। इस पर सहमति प्रकट की मौजूद है, जो अडंगा मार्बल से कलात्मक ढंग से बना हुआ है गई। लेकिन इसके चारों तरफ के बरामदे सलेटी पत्थर राजगढ़ (बाड़ा | मूल मंदिर के पुराने आठ शिखर हैं। उनके बीच-बीच में बड़कोल) खान का है जिसमें देव कुलिकाओं की ताकें बरामदे 2 गुमटी हटाकर नये 12 शिखर और पूर्व शिखरों के अनुरूप के खम्भे आदि समस्त भाग इस पत्थर का बना हुआ है। बरामदे बनायेंगे जिसका एक नमूना (श्री हरफूलसिंह व श्री पंकज धीरेन्द्र में लाल पत्थर के नये तोरण बनाये गये हैं। पीछे के भाग में ताकों | की रिपोर्ट में वर्णित उचित है) का निर्माण कराया जायेगा। सहमति को बंद कर जैन प्रतिमाएँ विराजमान कर चिप्स आदि की हुई है। प्रकट की गई है। अत: कार्य मौके पर चालू रखने की व कार्य मंदिर की द्वितीय मंजिल छत पर लाल पत्थर से नये बरामदे | कराने के सुझाव प्रस्तुत हैं। बनाकर उनमें जैन प्रतिमाएँ संगमरमर की एल्यूमीनियम के ग्लास । उक्त कार्यों के सम्बन्ध में समय-समय पर आवश्यकतानुसार फिटेड दरवाजों के अंदर रखी गई है। आंगन में प्रथम चौक के | मंदिर ट्रस्ट को निम्नहस्ताक्षरकर्ता की राय उपलब्ध कराने का कह बरामदे निर्माण में अडंगा मार्बल की फर्श बनाई गई है। मूल मंदिर | दिया गया है। की छत पर चारों कोनों पर चार व चार अन्य शिखर बंद बने हुए सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रस्तुत है। हैं, जो काले पत्थर के बने हुए हैं। उनका अराइशी काम खराब हो
भवदीय गया है। इन शिखरों के बीच छोटी-छोटी चूने पत्थर की शिखर
हस्ताक्षर नमूने बाद में बने हुए हैं। इनमें से एक गुमटी बाईं तरफ पुराने
अधीक्षक, शिखरों से मेल खाती हुई नमूने बतौर बनाई हुई है। जो चूने वाली
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग,
जयपुर वृत्त, जयपुर
28 अगस्त 2003 जिनभाषित
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org