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श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, छात्रावास,सांगानेर एक आदर्श संस्था
महावीर प्रसाद पहाड़िया
विश्व विख्यात गुलाबी नगर जयपुर से 10 किलोमीटर | श्री शीतलचन्द्र जी जैन भी समर्पित एवं वात्सल्य भाव से स्वयं दक्षिण में स्थित सांगानेर की ऐतिहासिक पुण्य धरा पर परम पूज्य | छात्रों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। समय-समय पर बाहर से संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद | विद्वानों को बुलाकर भी छात्रों को प्रशिक्षित कराया जाता है। एवं उनके सुयोग्य शिष्य मुनि पुंगव श्री 108 सुधासागर जी महाराज छात्रावास के सभी छात्र लौकिक एवं नियमित शिक्षा प्राप्त करने की मंगल प्रेरणा से 1 सितम्बर 1996 को श्री दिगम्बर जैन श्रमण | हेतु श्री दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय जयपुर में प्रतिदिन जाते संस्कृति संस्थान अन्तर्गत आचार्य ज्ञानसागर छात्रावास का | बीजारोपण हुआ, भवन का शिलान्यास हुआ और मात्र 8-9 माह छात्रावास में 10वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों को विधिवत् के अल्प समय में ही छात्रावास भवन की प्रथम मंजिल के 35 साक्षात्कार लेकर प्रवेश दिया जाता है। ये छात्र 5 वर्ष छात्रावास में कमरे व भूतल का विशाल ध्यान कक्ष निर्मित होकर उसमें छात्रावास रहकर राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री (बी.ए.) की का शुभारम्भ, 20 जुलाई 1997 को वीर शासन जयंती एवं गुरु | उपाधि प्राप्त करने के साथ-साथ छात्रावास में प्रात: सांय धर्मग्रन्थों पूर्णिमा के पावन अवसर पर, कर दिया गया। 10वीं कक्षा उत्तीर्ण की शिक्षा प्राप्त कर योग्य विद्वान बनकर समाज को समर्पित होते छात्रों को शास्त्री कक्षा (बी.ए.) तक के 5 वर्षीय अध्ययन हेतु | हैं। छात्रों को प्रात: सायं एवं रात्रि को छात्रावास में प्रार्थना, ध्यान, प्रवेश दे दिया गया।
पूजन, जैनदर्शन का अध्ययन उपर्युक्त वर्णित विद्वानों एवं योग्य वर्तमान में छात्रावास भवन की तीनों मंजिलें व सम्पूर्ण ब्रह्मचारीयों द्वारा कराया जाता है। ब्रह्मचारी भाईयों में श्री संजीव परिसर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। भवन में छात्रों हेतु 100 | भैया, श्री महेश भैया, श्री भरत भैया आदि उच्च कोटि के समर्पित कमरे, 6 शिक्षण कक्ष, वाचनालय कक्ष, अतिथि कक्ष, ध्यान | विद्वान हैं। संस्थान और यहाँ के छात्र आपकी सेवाओं का भरपूर कक्ष, समस्त छात्रों के एक साथ भोजन करने की क्षमतावाला | लाभ ले रहे हैं, तथा इन्हें पाकर धन्य हैं। व्यवस्थापक एवं अधीक्षक विशाल हॉल एवं सुसज्जित भोजनशाला पूर्ण रूप से तैयार है तथा | के रूप में श्री सुकान्त जी व संस्कृत शिक्षक के रूप में श्री राकेश इनका उपयोग वर्तमान में रह रहे 135 छात्रों द्वारा हो रहा है। जी की सेवायें भी उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त दो मंजिला आधुनिक सुविधाओं से युक्त अधिष्ठाता समय की माँग को देखते हुए छात्रों को कम्प्यूटर का निवास भी गत वर्ष बनकर तैयार हो चुका था। जिसमें छात्रावास | प्रशिक्षण भी दिया जाता है। संस्कृत एवं अंग्रेजी की अतिरिक्त के अधिष्ठाता एवं छात्रों को आगमानुकूल धार्मिक शिक्षा देकर | कक्षायें लगाकर छात्रों को ये दोनों विषय सुदृढ़ कराये जाते हैं। मार्ग प्रशस्त करने वाले ख्यातिप्राप्त विद्वान श्री रतनलाल जी बैनाड़ा, | छात्रों को खेल के शानदार मैदान के साथ-साथ खेल की आवश्यक अन्य ब्रह्मचारी शिक्षक गण एवं जाने-माने जन कवि तथा छात्रावास | सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है। वाचनालय एवं पुस्तकालय के उपअधिष्ठाता श्री राजमल जी बेगस्या निवास करते हैं। ऐसे | की भी सुविधा उपलब्ध है। यहाँ छात्रों को भोजन-वस्त्र, निवास, शानदार और दर्शनीय भवन को इतने कम समय में पूरा करने का | बिजली-पानी, फीस, कॉलेज आने-जाने हेतु वाहन सुविधा आदि श्रेय श्री गणेश जी राणा की अध्यक्षता में गठित सुयोग्य प्रबन्धसमिति | सब निःशुल्क उपलब्ध है। एवं उसके दो सदस्य श्री माणकचन्द्र जी मुशर्रफ एवं श्री रतनलाल हम गर्व से कह सकते हैं कि यह छात्रावास आज देश में जी नृपत्या को जाता है।
दिगम्बर जैन जगत की शान है और यहाँ के अध्ययन कर निकलने संस्थान का मूल उद्देश्य आचार्य कुन्दकुन्द देव की परंपरा वाले छात्र निर्विवाद रूप से भारतीय संस्कृति और सभ्यता में ढले में आगमानुसार छात्रों को तथा अन्य श्रावकों को उसके कर्तव्यों हुये आदर्श तथा संस्कारित व्यक्ति के रूप में ही देश व धर्म की एवं संस्कारों से अलंकृत करते हुए श्रमण संस्कृति की रक्षा हेतु | सेवार्थ निकलते हैं। उपासक विद्वानों को तैयार करना है, जिसके लिए संस्थान में अल्प समय में छात्रावास की शानदार प्रगति के पीछे सुयोग्य विद्वानों एवं ब्रह्मचारी भाईयों द्वारा प्रवचन कला का प्रशिक्षण, | निर्ग्रन्थ धर्म गुरुओं का आशीर्वाद एवं प्रेरणा भी रही है। संत जैन दर्शन का पठन-पाठन एवं व्रतविधनादि कराने का प्रशिक्षण | शिरोमणि आचार्य श्रेष्ठ श्री 108 विद्यासागर जी महाराज, मुनिपुंगव भी दिया जाता है। इसमें संस्थान के निर्देशक तथा दिगम्बर जैन | श्री 108 सुधासागर जी महाराज ससंघ का तो स्थापना से लेकर संस्कृत कॉलेज , जयपुर के प्राचार्य एवं देश के जाने-माने विद्वान | निरन्तर आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन मिलता ही रहा है, साथ ही अन्य
-सितम्बर 2002 जिनभाषित 23
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