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वर्षायोग : चातुर्मास 2002
साहित्यमनीषी ज्ञानवारिधि दिगम्बर जैनाचार्य प्रवर श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज के द्वारा दीक्षित-शिक्षित जैन श्रमणपरम्परा के आदर्श सन्तशिरोमणि जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज तथा उनके द्वारा दीक्षित शिष्यों का वीर निर्वाण संवत् 2528, विक्रम संवत् 2059, सन् 2002 का वर्षायोग चातुर्मास विवरण:
(1) संतशिरोमणि आचार्य श्री 108 श्री विद्यासागर जी महाराज, (2) मुनि श्री समयसागर जी महाराज, (3) मुनि श्री योगसागर जी महाराज, (4) मुनि श्री पवित्रसागर जी महाराज, (5) मुनि श्री विनीतसागर जी महाराज, (6) मुनि श्री निर्णय सागर जी महाराज, (7) मुनि श्री प्रबुद्धसागर जी महाराज , (8)मुनि श्री प्रवचनसागर जी महराज, (9) मुनि श्री प्रसादसागर जी महाराज, (10) मुनि श्री अभयसागर जी महाराज, (11) मुनि श्री अक्षयसागर जी महाराज, (12) मुनि श्री प्रशस्तसागर जी महाराज, (13) मुनि श्री पुराणसागर जी महाराज, (14) मुनि श्री प्रयोगसागर जी महाराज, (15) मुनि श्री प्रबोधसागर जी महराज, (16) मुनि श्री प्रणम्यसागर जी महाराज, (17) मुनि श्री प्रभातसागर जी महाराज, (18) मुनि श्री चन्द्रसागर जी महाराज, (19) मुनि श्री सम्भवसागर जी महाराज, (20) मुनि श्री अभिनन्दन सागर जी महाराज, (21) मुनि श्री सुमतिसागर जी महाराज, (22) मुनि श्री पद्मसागर जी महाराज, (23) मुनि श्री चन्द्रप्रभसागर जी महाराज, (24) मुनि श्री पुष्पदन्तसागर जी महाराज, (25) मुनि श्री श्रेयांससागर जी महाराज, (26) मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज, (27) मुनि श्री विमलसागर जी महाराज, (28) मुनि श्री अनन्तसागर जी महाराज, (29) मुनि श्री धर्मसागर जी महाराज (30) मुनि श्री शान्तिसागर जी महाराज, (31) मुनि श्री कुन्थुसागर जी महाराज, (32) मुनि श्री अरहसागर जी महाराज, (33) मुनि श्री मल्लिसागर जी महाराज, (34) मुनि श्री सुव्रतसागर जी महाराज, (35) मुनि श्री नमिसागर जी महाराज, (36) मुनि श्री नेमीसागर जी महाराज एवं (37) मुनि श्री पार्श्वसागर जी महाराज कुल : (1 आचार्यश्री + 36 मुनि महाराज) एवं बाल ब्रह्मचारीगण नोट - (1) आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के द्वारा दीक्षित प्राय: सभी साधुगण बाल ब्रह्मचारी हैं । जैन श्रमणपरम्परा के ज्ञात इतिहास/जानकारी में यह प्रथम श्रमण संघ है जिसमें वर्तमान दीक्षित 182 साधुगण एवं आर्यिकाएँ
भी प्राय: बाल ब्रह्मचारिणी हैं। (2) आचार्यश्री द्वारा ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण करने वाले देश के विभिन्न नगरों में लगभग 100 बाल ब्रह्मचारी भाई एवं 300 बाल ब्रह्मचारिणी बहनें भी चातुर्मास कर रही हैं । (3) आचार्यश्री के द्वारा प्रतिदिन प्रातः काल 'षट्खंडागम' (वर्गणाखण्ड) पुस्तक नं. 12 का तथा अपराह्नकाल 'समयसार' ग्रन्थ का स्वाध्याय कराया जाता है। (4) प्रत्येक रविवार को अपराह्न 3 बजे से आचार्यश्री जी का सार्वजनिक प्रवचन होता है। (5) रावण के पुत्र आदि साढ़े पाँच करोड़ मुनिराजों की निर्वाणस्थली, रेवा-नर्मदा नदी के तट पर अवस्थित सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावार तक पहुँचने के लिए मध्य रेलवे के दिल्ली-मुंबई मार्ग (व्हाया-इटारसी (102 कि.मी.)-खण्डवा (135 कि.मी.) पर निकटवर्ती रेल्वे स्टेशन हरदा से 22 कि.मी. है। (6) नेमावर हेतु इन्दौर 130 कि.मी. (अच्छे रोड़ से आष्टा होकर 175 कि.मी.) भोपाल (व्हाया नसरुल्लागंज) 150 कि.मी. (अच्छे रोड़ से आष्टा होकर 165 कि.मी.), खातेगाँव 14 कि.मी. एवं संदलपुर 9 कि.मी. से वाहन द्वारा पहुँचा जा सकता है। (7) नेमावर से सिद्धवर कूट 210 कि.मी., ऊन (पावागिरी) 260 कि.मी., बावनगजा (बड़वानी), 360 कि.मी. (व्हाया इन्दौर) है। सतवास-पुनामा डेम होकर जाने से प्रत्येक की 55 कि.मी. दूरी कम हो जाती है। मक्सी जी 210 कि.मी. बनेडियाजी 160 कि.मी. एवं गोम्मटगिरी 130 कि.मी. दूरी पर अवस्थित है। चातुर्मास स्थली : श्री दिगम्बर जैन रेवा सिद्धोदय-सिद्धक्षेत्र नेमावर- 455336 (देवास) म.प्र. फोन-कार्यालय (07274) 77818,77990 सम्पर्क सूत्र : (1) अध्यक्ष-सुन्दरलाल जैन बीड़ी वाले, 39/2, न्यू पलासिया, इन्दौर-1 फोन-(0731) (नि.) 530645 (का.)536765 (2) कार्याध्यक्ष- पद्मकुमार काला, श्री महावीर दाल मिल्स, बानापुरा-461221 होशंगाबाद (म.प्र.), फोन-(07570)(नि.)24655 (का.) 25155, 25255 (3) महामंत्री-बी.एल.जैन , देना बैंक के सामने, हरदा-46133 फोन-(07577)23003 (4)कोषाध्यक्ष- रमेशचन्द्र काला नवरंग वस्त्र भण्डार, भगवान महावीर मार्ग, खातेगाँव (देवास) फोन-(07274) (नि.) 32713 (दु.)32228 (1)मुनि श्री नियमसागर जी महाराज (2) मुनि श्री पुण्यसागर जी महाराज (3) मुनि श्री वृषभसागर जी महाराज
2.
26 सितम्बर 2002 जिनभाषित
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