Book Title: Jinabhashita 2002 04
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 24
________________ ए भाव कम से कम 500 से 600 रुपये होता है, जिसका विक्रय | होती है। कुछ व्यक्तियों का मत है कि अण्डों की उत्पादन लागत मूल्य 20 से 25 हजार रुपये तक होता है। अनाज की उत्पादन लागत से कम होती है, लेकिन परीक्षण किया 2. मांसाहार की उत्पादन लागत जाये तो बात गलत सिद्ध होती है, क्योंकि प्रत्येक मांसाहारी उत्पाद मांस भोजन प्राप्त करने का एक सैकण्ड हैण्ड तरीका है। | में शाकाहारी खाद्य की उत्पादन लागत भी शामिल होती है। जैसे पशु अपने भोजन के लिए पेड़-पौधों पर आश्रित रहते हैं। पहले वे | अण्डे के उत्पादन में मुर्गी को खिलाये जाने वाले अनाज की अनाज व घास-फूस आदि खाते हैं, जो शरीर में पहुँचकर मांस कीमत भी शामिल होगी। कुछ व्यक्तियों का मत है कि मछली तथा रक्त आदि में परिवर्तित हो जाता है। फिर मांसाहारियों द्वारा पालन में कृषि की तुलना में अधिक लाभ होता है। सर्वेक्षण द्वारा उनके मांस का भक्षण किया जाता है। इस तरह मांसाहार की पता चला है कि 30 से 40 क्वि, अनाज के उत्पादन में जहाँ मात्र उत्पादन लागत में शाकाहारी पदार्थों की उत्पादन लागत के साथ- एक हैक्टेयर भूमि की आवश्यकता होती है, वहीं इतनी ही मछलियों साथ पशुओं की देख-भाल के व्यय, उनके वध करने की लागत, के उत्पादन में 4 से 5 हैक्टेयर भूमि में पानी से भरे हुए तालाबों की तैयार मांस की जाँच-पड़ताल, पैकिंग एवं विक्रय के व्यय शामिल आवश्यकता होती है। मछलियों के लिए जो बीज डाले जाते हैं, होते हैं। उनकी कीमत 5 से 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक होती है। पशुओं को वध करने की लागत में बूचड़खाने में कार्यरत इसके बावजूद यदि एक मछली को रोग लग जाता है तो सभी श्रमिकों की मजदूरी, पशुओं के कत्ल के पूर्व तथा कत्ल के पश्चात् | मछलियाँ रोग ग्रस्त हो जाती हैं और उनकी पैदावार नष्ट हो जाती होने वाले परीक्षण व्यय, ऊर्जा व्यय, तैयार गोश्त की जाँच के | है। इससे आर्थिक हानि तो होती ही है साथ में भूमि भी प्रदूषित व्यय तथा कत्लखानों की स्वच्छता व देख-रेख के व्यय भी होती है। क्योंकि जिन तालाबों में मछली पालन केन्द्र बनाये जाते शामिल हैं। हैं, वहाँ की भूमि दलदली हो जाती है जो न तो कृषि के लिए कत्लखानों में पशुओं के वध के लिए अत्यधिक मात्रा में | उपयुक्त होती है और न ही आवास के लिए। ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जैसे सुअरों के वध के लिये दिये । जिस वस्तु की लागत अधिक होती है उसका विक्रय जाने वाले विद्युत आघात, गाय, भैंसों, बछड़ों व अन्य जानवरों को मूल्य भी अधिक होता है, यह तथ्य नीचे दी गई तालिका से स्पष्ट काटने के लिए जिन मशीनों का उपयोग किया जाता है, उनका | हो जाता है। ऊर्जा व्यय आदि। विभिन्न पदार्थों के बाजार मूल्य का विश्लेषण मुर्गीपालन केन्द्रों में मुर्गियों को उचित तापमान में रखने | पदार्थ विक्रय मूल्य के लिये अधिक क्षमता वाले विद्युत बल्बों का प्रयोग किया जाता (रु. प्रति कि.ग्रा.) है। इस तरह विद्युत ऊर्जा प्राप्ति के लिए खर्च की गई बड़ी धन मांस 80 राशि भी मांस की उत्पादन लागत में शामिल होती है। इसके मछली अलावा पशुओं को लाने-ले जाने में हुए यातायात के व्यय तथा अण्डा तैयार मांस के संरक्षण एवं वितरण के व्यय भी इसकी उत्पादन गेहूँ का आटा 7.50 लागत को बढ़ा देते हैं। इस तरह मांसाहार की उत्पादन लागत मूंगफली 21.50 शाकाहार की उत्पादन लागत से लगभग 5 से 10 गुना अधिक सपरेटा दुग्ध चूर्ण 15 होती है। बिनौला 8.50 शाकाहारी एवं मांसाहारी पदार्थों की उत्पादन लागत सोयाबीन पदार्थ प्रति टन उत्पादन लागत अरहर 20 (रु.में) चना 22 बीफ (गौमांस) 9310 (स्त्रोत -बार्ले एवं विर्जिग द्वारा लिखित प्रलेख) मटन (भेड़-बकरी का मांस) 22,540 ___ तालिका से स्पष्ट है कि जहाँ मांस का बाजार मूल्य 80 रु. पोर्क (सुअर का मांस) 21,210 प्रति किलो हैं, वहीं आटा 7.50 रु. किलो, अरहर दाल 20 रु. 2,170 किलो, चना 22 रु. किलो ही मिल जाता है। सभी तरह की जई 1,820 सब्जियाँ 5 से 15 रु. प्रति किलोग्राम प्राप्त हो जाती हैं। अण्डा 18,000 इसी संदर्भ में जब छतरपुर के कुछ मांसाहारी भोजनालयों मछली 20,000 से लागत संबंधी जानकारी एकत्रित की, तो प्रमुख शाकाहारी एवं उपर्युक्त तालिका से हमें मांसाहारी और शाकाहारी भोज्य | मांसाहारी व्यंजनों के मूल्यों में भारी अन्तर पाया। जिसका पदार्थों की उत्पादन लागत में भारी असमानता स्पष्ट दृष्टिगोचर | तुलनात्मक विश्लेषण तालिका में प्रदर्शित किया गया है- . 22 अप्रैल 2002 जिनभाषित 40 24 5.50 गेहूँ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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