Book Title: Jinabhashita 2002 04
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 23
________________ शाकाहार एवं मांसाहार : एक तुलनात्मक आर्थिक विश्लेषण कु. रजनी जैन विश्व के विभिन्न देशों में विविध प्रकार की मानव संस्कृतियाँ | करेंगे। इस हेतु हम पहले शाकाहार को उत्पादन लागत और पायी जाती हैं। उनके रहन-सहन एवं आहार प्रणालियों में अनेक | गुणवत्ता की कसौटी पर परखेंगे। विविधताएँ हैं। प्राचीन परम्परा एवं धार्मिक मान्यताओं के कारण 1. शाकाहार की उत्पादन लागत - शाकाहारी पदार्थों एक वर्ग की आहार सामग्री दूसरे वर्ग की आहार सामग्री से भिन्न | का स्रोत पेड़ हैं, जो कुछ मात्रा में तो प्रकृति द्वारा निःशुल्क प्राप्त हैं होती है। मानव आहार की वस्तुओं को यदि वर्गीकृत किया जाए, | और शेष कृषि द्वारा मनुष्य अपने परिश्रम से उत्पन्न करता है। अत: तो उन्हें मोटे तौर पर दो समूहों में विभाजित कर सकते हैं। एक | कृषि द्वारा अनाज, फल-सब्जियों को उगाने में जो व्यय होगा, शाकाहार, दूसरा मांसाहार । इन दोनों में मुख्य अन्तर अण्डा, मछली | वही उनकी उत्पादन लागत होगी। एक हैक्टेयर भूमि में फसल के और किसी भी तरह के मांस को मनुष्य द्वारा अपने भोजन में | उत्पादन पर निम्न व्यय होते हैं :शामिल करने और छोड़ने में है। (क) खेतों की जुताई - किसी भी फसल के उत्पादन संसार में जन्म लेने वाले प्राणी अपने अस्तित्व और शारीरिक | के लिए कम से कम दो बार जुताई करना आवश्यक है, जिसका विकास के लिए आहार पर निर्भर हैं। किसी भी प्राणी के लिये | व्यय लगभग 1000/- रुपये आता है। वायु, जल के बाद सबसे बड़ी आवश्यकता भोजन ही हुआ करती (ख) भूमि उपचार -अंतिम जुताई अर्थात् बीज बोने के है। मनुष्य के लिये भी भोजन अनिवार्य आवश्यकताओं में से एक | पूर्व उपचार हेतु दवाओं के प्रयोग में 100/- रुपये तक खर्च हो है। अत: मानव-आहार की वस्तुएँ क्या हों? वह उन्हें कब और जाते हैं। कितनी मात्रा में ग्रहण करे? यह हमारे चिन्तन का प्रमुख विषय (ग) बीज - एक हैक्टेयर भूमि में बोने के लिए बीज होना चाहिये। आज पूरे विश्व में दोनों आहार शैलियाँ-शाकाहार | करीब 500 रुपये तक की कीमत के प्राप्त होते हैं। तथा मांसाहार में कौन श्रेष्ठतम है, इसका निर्णय करने हेतु इसके (घ) खाद- एक हैक्टेयर भूमि में जो खाद डाली जाती विविध पहलुओं पर विस्तृत विश्लेषण, अन्वेषण तथा शोध किया | है, वह लगभग 2000 रुपये तक की पड़ती है और कल्चर व जा रहा है। हमारे सोच, स्वास्थ्य, सक्रियता और आर्थिक स्तर को | बीजोपचार दवा हेतु 50 रुपये तक व्यय हो जाते हैं। प्रभावित करनेवाली दोनों आहारपद्धतियों की श्रेष्ठता जानने- परखने | (ङ) बुवाई - खेत में बीजों की बुवाई के लिए 500 की सहज जिज्ञासा मेरे मन में भी उठी। मैंने अपने प्राध्यापक डॉ. | रुपये तक का खर्च आ जाता है, क्योंकि बुवाई के लिए भी हल या सुमति प्रकाश जैन से अपनी यह जिज्ञासा प्रकट कर शोधकार्य में | ट्रेक्टर की आवश्यकता होती है। उनका मार्गदर्शन चाहा, जिसकी उन्होंने सहर्ष सहमति दे दी। | (च)सिंचाई - फसलों की सिंचाई कम से कम दो बार तत्पश्चात् मैंने उनके मार्गदर्शन में “शाकाहार एवं मांसाहारः एक | तो होती ही है। इसके लिए जिन पम्पों का इस्तेमाल किया जाता तुलनात्मक आर्थिक विश्लेषण" विषय पर एक शोध कार्य संपादित | है, उनके डीजल व विद्युत व्यय पर लगभग 500 रुपये होता है। किया। दोनों आहार पद्धतियों के आर्थिक विश्लेषण, स्वास्थ्य (छ) कीटनाशक - फसलों पर बालियाँ व फलियाँ संबंधी वैज्ञानिक तथ्यों, दोनों आहार शैली अपनाने वाले व्यक्तियों | आने पर उन पर कीटनाशकों का छिड़काव किया जाता है, इसमें से सूक्ष्म चर्चा तथा गहन चिंतन-मनन के बाद शाकाहार बनाम लगभग 500 रुपये तक का व्यय आ जाता है। मांसाहार के बारे में जो तथ्य ज्ञात किए हैं, उनका सारांश इस (ज) परिश्रम - तैयार फसल की रखवाली करने में आलेख में प्रस्तुत है। उसकी निंदाई व कटाई करने में जो परिश्रम होता है, उसका व्यय शोध- सारांश से हमारे प्रबुद्धजन भी शाकाहार एवं मांसाहार लगभग 2000 रुपये तक आता है। अनाजों, फल एवं सब्जियों को की तुलना कर सकते हैं। खेतों से गोदामों तक और गोदामों से बाजार तक लाने में जो व्यय आर्थिक दृष्टि से उत्तम खाद्यान्न वही माना जाता है, जिसे | होता है, वह भी परिवहन व्यय के रूप में शाकाहार की उत्पादन कम लागत में अधिक मात्रा में प्राप्त किया जा सके। जिसकी लागत में जुड़ जाता है। इन सब व्ययों का योग किया जाए तो एक गुणवत्ता भी अपेक्षाकृत अधिक हो। इसके लिए हम शाकाहार एवं | हैक्टेयर भूमि में उत्पादित शाकाहारी पदार्थ की उत्पादन लागत मांसाहार की उत्पादन लागत से लेकर उसके बाजार मूल्य एवं | लगभग 8000 रुपये से 10000 रुपये तक आती है और 30 से 40 उनका उपभोग करने पर प्राप्त होने वाली पोषणता का विश्लेषण | क्वि. अनाज उत्पादित हो जाता है। एक क्वि. अनाज का बाजार -अप्रैल 2002 जिनभाषित 21 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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