Book Title: Jinabhashita 2001 09
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ रजि. नं. UP/HIN/29933/24/1/2001-TC सितम्बर 2001 जिनभाषित मासिक अङ्क 4 सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन अन्तस्तत्त्व कार्यालय 137, आराधना नगर, भोपाल-462003 म.प्र. फोन0755-776666 सहयोगी सम्पादक पं. मूलचन्द लुहाड़िया पं. रतनलाल बैनाडा डॉ. शीतलचन्द्र जैन डॉ. श्रेयांस कुमार जैन प्रो. वृषभ प्रसाद जैन शिरोमणि संरक्षक श्री रतनलाल कँवरीलाल पाटनी (मे. आर.के. मार्बल्स लि.) किशनगढ़ (राज.) श्री गणेश राणा, जयपुर पृष्ठ विशेष समाचार सम्पादकीय : वैराग्य जगाने के अवसरों का मनोरंजनीकरण 2 प्रवचन : दया को सुरक्षित रखिए : आचार्य श्री विद्यासागर लेख : • पृथ्वीलोक का अमृत 'दूध' : कु. स्वीटी जैन एवं कु. ऋतु जैन 6 • भवाभिनन्दी मुनि और मुनिनिन्दा : स्व. पं. जुगलकिशोर मुख्तार 8 • नवकोटि विशुद्धि : स्व. पं. मिलापचन्द्र कटारिया • प्रतिष्ठाचार्यों के लिए एक विचारणीय विषय मोक्षकल्याणक स्व. पं. मिलापचन्द्र कटारिया जैन संस्कृति एवं साहित्य के विकास में कर्नाटक का योगदान : प्रो. डॉ. राजाराम जैन 16 आर्यिका नवधा भक्ति विवाद नहीं, चर्चा: पं.मूलचन्द्र लुहाड़िया 18 कर्नाटक की ऐतिहासिक श्राविकाएँ : प्रो. (डॉ.) श्रीमती विद्यावती जैन जिज्ञासा-समाधान : पं. रतनलाल बैनाड़ा . व्यंग्य : तृष्णाकुलः शान्तिविहीनलोकः : शिखरचन्द्र जैन 21 परिचय : श्री महावीर उदासीन आश्रम कुण्डलपुर : ब्र. अमरचन्द्र जैन दयोदय पशु संवर्धन केन्द्र तिलवारा घाट जबलपुर : सुबोध जैन देवस्तुति : कविवर बुधजन, अर्थकर्ता : ब्र. महेश कविताएँ • निखर उठेगा जीवन कुन्दन : ऋषभ समैया 'जलज' शहनाई पर गीत कोई : अशोक शर्मा अगर उठो तो बनो हिमालय : श्रीपाल जैन 'दिवा' • माटी नहीं बनते तुम : आचार्य श्री विद्यासागर आदर्श कथाएँ : यशपालन जैन आवरण पृष्ठ 3 समाचार ___7, 12, 20, 26, 27, 28, 29, 30 आपके पत्र, धन्यवाद 31 द्रव्य-औदार्य श्री अशोक पाटनी (मे. आर.के. मार्बल्स लि.) किशनगढ़ (राज.) प्रकाशक सर्वोदय जैन विद्यापीठ 1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा-282002 (उ.प्र.) फोन : 0562-351428,352278 सह सदस्यता शुल्क शिरोमणि संरक्षक 5,00,000 रु. परम संरक्षक 51,000 रु.] संरक्षक 5,000 रु. आजीवन 500 रु. वार्षिक 100 रु. एक प्रति 10 रु. सदस्यता शुल्क प्रकाशक को भेजें। केवल ड्राफ्ट से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 36