Book Title: Jesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 8
________________ IIIllustration तापगच्छीय श्री श्रमणसंघ के बहुत बड़े हिस्से के श्रमण भगवं गुरुदेव परमपूज्य पूज्यपाद तपस्वी प्रवर पं० श्री मणिविजयजी गणि (दादा) जन्म - वि०सं० १८५२ भाद्रपद सुदि, अधार (विरमगाम गुजरात के पास) दीक्षा- वि०सं०] १८७७, पाली (मारवाड) पन्यासपद - वि०सं० १९२२ ज्येष्ठ सुदि १३, अहमदाबाद स्वर्गवास- वि०सं० १९३५, अश्विन सुदि ८, अहमदाबाद Jain Education International पूज्यपाद महातपस्वी गणिवर पं० श्री मणिविजयजी महाराज (दादा) के शिष्यरत्त पूज्यपाद संघस्थविर आचार्य श्री १००८ विजय सिद्धिसूरीश्वरजी (बापजी) महाराज जन्म- वि०सं० १९११ श्रावण सुदि १५, वळाद (अहमदाबाद के पास ) दीक्षा - वि०सं० १९३४ ज्येष्ठ बदि २, अहमदाबाद (गुजरात) पन्यासपद - विसं १९५७, सूरत (गुजरात) आचार्यपद - वि०सं० १९७५ महासुदि ५, महेसाणा (गुजरात) स्वर्गवास - वि०सं० २०१५, भाद्रपद बदि १४, अहमदाबाद For Private & Personal Use Only पूज्यपाद संघस्थविर आचार्यदेव श्री १००८ विजय सिद्धिसूरीश्वरजी (बापजी) महाराज के पट्टालंकार पूज्यपाद आचार्य देव श्री विजयमेघसूरीश्वरजी महाराज जन्म - वि०सं० १९३२ मार्गशीर्ष सुदि ८, रांदेर दीक्षा- वि०सं० १९५८, कार्तिक बदि ९, मीयागाम-करजण पन्यासपद - वि०सं० १९६९ कार्तिक बदि ४, छाणी आचार्यपद - वि०सं० १९८१, मार्गशीर्ष सुदि ५, अहमदाबाद स्वर्गवास - वि०सं० १९९९ आश्विन सुदि १, अहमदाबाद www.jamnelibrary.org

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