Book Title: Jainpad Sagar 01
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 203
________________ : बधाई - संग्रह। ..." ५. बधाई संग्रह । १ | बधाई - श्री आदिनाथ भगवानकी । चलि सखि देखन नाभिरायघर, नाचतं हेरि. नटवा || चल०||टेर || अदभुत ताल मान स्वरलयजुत, चवंत राग पटैवा ॥ चलसखि० ॥ १ ॥. मनिमय नूपुरादि भूषण दुति, युतसुरंग पर्दैवा हरिकेर नखन नखनपै सुरतिय, पग फेरत कटवा ॥ चलि सखि ||२|| किंनर करघर बीन बजावत, लावत लय झटवा । दौलत ताहि लखे चख तृपते, सूझत शिवबर्टवा ॥ चलि सखि० ॥ ३॥ २ । बधाई - शांतिनाथ भगवानकी । १८३ वारी हो बधाई या शुभ साजै, विश्वसेन ऐरी' देवीगृह, जिनवमंगल छाजै ॥ वारी होο · १ | इंद्ररूपी नट । २ गाते हैं । ३ छह राग । ४ कपड़े | ५. इंद्रके हाथोंके नखोंपर । ६. कमर । ७. शीघ्रही । ८ नेत्र | ६ मोक्षमार्ग । १० शांतिनाथ भगवानकी माता । ११ भगवानके जन्मका उत्सव. ।

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