Book Title: Jainpad Sagar 01
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 209
________________ बधाई - संग्रहः । १८९. चौरी मंडप सुरगननें ॥ माई आज ० ॥ ३ ॥ द्यानंत धन्य सुनंदा कन्या, जाकों आदीश्वर पर || माईआज० ॥ ४ ॥ . • ७ । बधाई - आदिनाथकी राग - आसावरी । . आज आनंद बघाव ॥आज० ॥टैर ॥ जनम्योः आदीसुर नाभीके भौन। कीन्हो सब इंद्र मिलि. मेरुपैं न्होन ॥ आज ० ॥ १ ॥ ऐरावत शक्रे चढ्यो, गोदमैं किशोर । नाचत हैं अपछरा, सु सत्ताईस कोरे || आज० ॥ २ ॥ अजोध्या नगर सव, घेरो देवि देव । नरनारी अचरज यह, देखें: सब एव ॥ आज ० ॥ ३ ॥ द्यानत मरुदेवी पद, सची सीस नाय । धन धन जगमाता, हमें सुख I दाय || आज० ॥ ४ ॥ . ८ | राग - ललित एकतालो । • बधाई राजे हो आज राजे, बधाई राजे, नाभि, रायके द्वार बधाई ॥ टेक ॥ इंद्र सची सुर सब मिलि. आए, सज लाये गजराजै ॥ बधाई ॥ १॥ जन्मसंद १ इंद्रः ॥ १ करोड ।

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