Book Title: Jainism Course Part 02
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 2
________________ WELCOME JAINISM श्री विश्वतारक रत्नत्रयी विद्या राजितं to रत्नत्रयी। जैलिज़म आशीर्वाद दाता - प. पू. राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति वर्तमानाचार्य देवेश जैनिज़म कोर्स ] श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. लेखिका - सा. मणिप्रभा श्री जिसमें आनंद है, पर संक्लेश नहीं... जिसमें मस्ती है, पर परवशता नहीं... जिसमें प्रसन्नता है, पर पाप नहीं.... जिसमें सुख है, पर लाचारी नहीं... जिसमें ताजगी है, पर गुलामी नहीं.... आज की शिक्षा प्रणाली ने विद्यार्थियों की शिक्षा के महल तो बड़ें, ऊँचे और भव्य बना दिए, लेकिन उनमें संस्कारों की सीढ़ियों का नितांत अभाव है। सीढ़ियों के बिना महल के ऊपर की मंजिले व्यर्थ है। उन सीढ़ियों को बनाने का एक मात्र आधार है जैनिज़म कोर्स ... ऐसे कई छोटे-छोटे गाँव है जहाँ कोई साधु-साध्वी नहीं पहुँच पाते अथवा चातुर्मास नहीं होते। भारत भर के ऐसे छोटे बड़े सभी गाँव में इसका प्रचार कर घर-घर में घट-घट में सम्यक्तव का दीप जलाकर मोक्षाभिमुख करना, अनंत आनंद का सच्चा मार्ग-दर्शन देना । जीतो मोक्ष बाओ श्री विश्वतारकर विद्या राजितं JAINISM HOLD THE KEY TO SUCCESS जैनिज़म की प्रत्येक पुस्तक में निम्न Five Chapter है : क्या आप अपने जीवन को परमात्मा के बताये हुए मार्गानुसारी शुद्ध क्रिया द्वारा प्रोज्जवल करना चाहते हो... ??? तो देखिए First Chapter क्रिया शुद्धि | क्या आप अपने जीवन को स्वर्ग जैसा सुंदर बनाकर मैत्री सरोवर में झूमना चाहते हो ??? तो अपने जीवन में उतारिये Second Chapter सुखी परिवार की चाबी । क्या आप गणधर रचित सूत्र - अर्थ द्वारा अपने कर्म मल धोकर प्रभु भक्ति से आत्म शुद्धि करना चाहते हो ...??? - तो कंठस्थ कीजिए Third Chapter सूत्र - अर्थ एवं काव्य विभाग क्या आप महापुरुषों के पदचिन्हों पर चलकर महापुरुष की तरह अमर बनना चाहते हो ... ??? तो पढ़िये Fourth Chapter आदर्श जीवन चरित्र । क्या आप जीव - विचार, नव-तत्त्व, कर्मग्रन्थादि गहन तत्त्वों को बातों-बातों में सीख लेना चाहते हो ... ??? तो सीखिए Fifth Chapter तत्त्वज्ञान |

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