Book Title: Jainism Course Part 02
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi

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Page 200
________________ Title Song (राग : अगर तुम मिल जाओ ....) जैनिज़म कोर्स को विश्व-व्यापी बनायेंगे, प्रभु वीर के संदेशों से जिनशासन महकायेंगे ... हम है महावीर के अनुयायी, चाहे दिगम्बर, श्वेताम्बर, जिन-शासन पर कष्ट पड़े तो, कर देंगे जीवन न्यौछावर, गच्छ के भेद भले ही हो, मन में हम भेद न लायेंगे... जैनिज़म कोर्स .....||1|| जैन धर्म के आचारों को, जैनाचार से जानेंगे, विधि जयणा बहुमान से, प्रभु भक्ति करेंगे, देव-गुरु धर्म को जानकर, समकित का दीप प्रगटायेंगे .... जैनिज़म कोर्स .....||2|| वस्त्रों में हो शील मर्यादा, यहीं नारी की सुंदरता, लज्जा विनय संस्कार बिना, झूठी है सारी पवित्रता, सीता, मयणा के आदर्श से, Indian culture अपनायेंगे. जैनिज़म कोर्स ..... / / 3 / / प्रभु की वाणी के मर्म को, सूत्र अर्थों से जानेंगे, स्तुति स्तवन के गान से, प्रभु की भक्ति करेंगे, प्रभु की क्षायिक प्रीति से, सिद्ध स्वरुप प्रगटायेंगे... जैनिज़म कोर्स .....||4|| जिनके रग-रग में प्रभु भक्ति का, है सिंधु लहराता, कष्ट आये लाखों फिर भी, जिन्होंने धर्म न छोड़ा अपना, वस्तुपाल जैसे महापुरुषों की, राह को हम अपनायेंगे ... जैनिज़म कोर्स .....11511 नरक की वेदना को जान, पापों को छोड़ देंगे हम, रात्री भोजन, जमीनकंद और बासी न खायेंगे हम, चौद राजलोक के ज्ञान से, जीवों के प्रति मैत्री लायेंगे ... जैनिज़म कोर्स .....||6|| जैनिज़म में मणिप्रभाश्रीजी, ऐसी भावना करते है, पद्मनंदी संग समर्पित परिवार, प्रभु से प्रार्थना करते है, अहम् मैया की कृपा पाकर, ज्ञान की ज्योति जलायेंगे जैनिज़म कोर्स को विश्व व्यापी बनायेंगे .....117 / / Print @ KANCHAN Rajgarh-mohankheda (M.P.) 09893005032,09926277871

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