Book Title: Jainatva ki Zaki
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 191
________________ बतला देंगे कि अमुक बीजों ने हवा में से इतने समय में इतनी ऑक्सीजन खींच ली है । पौधों में स्मरण - शक्ति का भी अभाव नहीं है। यह बात सभी जानते हैं कि बहुत-से पौधे रात्रि के समीप आने पर अपने पत्तों को सिकोड़ लेते हैं और फल के डंठल को नीचे झुका देते हैं। इसका कारण सूरज की अन्तिम किरणों का पौधों पर पड़ना बताया जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने प्रयोग करके देखा है कि अँधेरे कमरे में बन्द कर देने से भी, पौधे ठीक सूर्यास्त के समय अपने पत्तो को समेटने लगते हैं और सूरज के उदय होते ही खिल उठते हैं। सच बात तो यह है कि पौधों के जीवन-कोषों को समय के परिवर्तन का स्मरण रहता है। रजनीगन्धा रात होते ही महकने लगती है । मानव, स्वभाव से वृक्षों की समता वैज्ञानिकों ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि पौधें पशुओं की तरह सर्दी-गर्मी, दुःख-सुख आदि का ज्ञान भी रखते हैं। पौधों में प्यार तथा घृणा का भाव भी विद्यमान है। जो उनके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, उन्हें वे चाहते हैं और जो उनके साथ दुर्व्यहार करते हैं, उन्हें वे घृणा की दृष्टि से देखते हैं। कुछ पौधे बहुत फैशन - पसन्द होते हैं । गुलाब का फूल तुरन्त बदबू का अनुमान कर लेता है, और अपनी पंखुड़ियों को सिकोड़ लेता है। जरा मैले हाथों से कमल को छू दीजिए, वह मुर्झा जाएगा। चोट लगने या छिन जाने पर जैसे हमें तकलीफ होती है, उसी तरह पौधों को भी होती है । अन्य प्राणियों के समान वृक्षों के शरीर में भी स्नायु - सूत्रों के द्वारा सारे शरीर में फैल जाती है, वैसे ही वृक्षों के शरीर में भी आघात की उत्तेजना सर्वत्र फैल जाती है । अपनी इन्द्रियों द्वारा पौधे सदी-गर्मी आदि का तो अनुभव करते ही हैं, साथ ही विष और उत्तेजक पदार्थों का भी उन पर प्रभाव पड़ता जैनत्व की झाँकी (180) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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