Book Title: Jainagama Nirdeshika
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 2
________________ उपाध्याय कविरत्न श्री अमरचन्दजी महाराज का अभिमत जैनागम-निर्देशिका-पैतालीस जैनागमों की विशद विषयसूचिका । अपनी भूमिका का सुन्दर एवं उपादेय ग्रन्थ । इस प्रकार के ग्रन्थ की चिरकाल से अपेक्षा की जा रही थी और इसके लिए दो चार छुट-पुट प्रयत्न भी हुए, परन्तु मुनि श्री 'कमल' जी का प्रयास सर्वोपरि शिरसि शेखरायमाण है। विषय-निर्देशन काफी बौद्धिक सूक्ष्मता एवं आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति से किया गया है । संशोधक विद्वानों के लिए तो यह अल्प प्रयास से ही बहुत कुछ पा लेने जैसा है । आगम साहित्य में साध्वाचार, श्रावकाचार, अध्यात्म, दर्शन, इतिहास, आदि की अनेकविध विस्तृत चर्चाएं हैं । तत्काल किसी विषय के संबंध में जानकारी प्राप्त करना हो तो आगम-सागर में गहरी डुबकी लगाए बिना, समय और श्रम का विपुल उपयोग किये बिना, कुछ अता-पता पा लेना शक्य नहीं है । परन्तु प्रस्तुत पुस्तक इस कठिनाई का सरलतम समाधान है, भावुकता नहीं, विवेक के प्रकाश में मुनि श्री जी इसके लिए सविशेष धन्यवाद के पात्र हैं। संपादन के समान ही पुस्तक की छपाईमें सफाई आदि का बाह्य परिष्कार भी अद्यतन एवं नयनाभिराम है । -उपाध्याय अमर मुनि, आगरा W inelibrary.one

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